गाजीपुर/सैदपुर। प्राचीन काल से हमारे देश में गुरु को भगवान के बराबर समझा जाता है। गुरु और शिष्य के समर्पण की तमाम कहानियां भारतीय इतिहास में पढ़ने को मिलती हैं। एकलव्य की गुरु दक्षिणा सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। कुछ ऐसी ही कहानी गाजीपुर के औड़िहार क्षेत्र की है।मोक्षदायिनी गंगा के तट पर बना आदित्यघाट भी बयां करता है। देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों में से एक बिड़ला समूह की ओर से गुरु दक्षिणा में बनाए गए इस घाट की चर्चा रोज हो या ना हो। लेकिन गुरु पूर्णिमा के दिनों में हर किसी की जुबान पर आदित्य घाट का नाम बरबस ही आ जाता है।
औड़िहार गांव निवासी नंदलाल पाठक वरिष्ठ साहित्यकार के साथ ही मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं मुंबई के सोफिया कॉलेज में प्रधानाध्यापक रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान पंडित नंदलाल ने बिड़ला समूह की चेयर पर्सन राज्यश्री बिड़ला को भी पढ़ाया था। इसके अलावा वह बिरला परिवार के पारिवारिक गुरु भी रहे हैं। एक बार राजश्री बिरला ने नंदलाल पाठक से कहा कि गुरु दक्षिणा आपने नहीं ली है। आप गुरु दक्षिणा में कुछ ले लीजिए। यह सुनकर श्री पाठक को अपने गांव की याद आ गई और उन्होंने अपने गांव में गंगा तट पर पक्का घाट बनवाने की बात कह दी। राजश्री बिरला इसके लिये तैयार भी हो गईं और औड़िहार आकर गंगा तट पर भगवान वराह रूप का मंदिर देख वे प्रभावित भी हुईं। उनके साथ आये इंजीनियरों ने घाट बनाने का खाका तैयार किया और शीघ्र ही घाट बनकर तैयार हो गया। इस दौरान पक्का नारी- परिधान कक्ष एवं घाट के ऊपर शिव मंदिर का निर्माण भी कराया गया। घाट पर राजश्री बिरला अपने बेटे बिरला ग्रुप के मालिक कुमार मंगलम बिड़ला के साथ 7 नवंबर 2014 को औड़िहार आईं और घाट का लोकार्पण किया। नंदलाल पाठक को गुरु दक्षिणा में मिले इस घाट का उपयोग औड़िहार, गैबीपुर, नेवादा महमूदपुर, पटना, गोपालपुर, गजाधरपुर समेत दर्जनों गांव के लोग करते हैं। सावन के महीने में दो शिवलिंगी का महादेव मंदिर स्थापित होने से इस घाट पर आने और गंगा में स्नान कर पूजन अर्चन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है।
-किशन मोहन पांडेय।