गाजीपुर। हॉकी के तीर्थ और तेजू भैया की कर्मभूमि मेघबरन स्टेडियम में नई पौध तैयार की जा रही है। यहां दूसरा ललित पैदा करने की कोशिश जारी है। “ललित उपाध्याय” और कोई नहीं, बल्कि इस समय हॉकी ओलंपिक में भारत की तरफ से खेल रहे हैं। वह भी सैदपुर तहसील के मेघबरन स्टेडियम के तेजू भैया के शिष्य हैं।
इन दिनों यहां नन्हें खिलाड़ियों को भारतीय हॉकी टीम के टोक्यो ओलंपिक हॉकी मुकाबले को दिखाया जा रहा है। आशुतोष सिंह और अनिकेत सिंह ने प्रोजेक्टर लगा कर बच्चों को मैच दिखाने की यह नवीन पहल शुरू की है। बेहतरीन भारतीय अंतराष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी राज कुमार पाल भी साथ बैठकर खिलाड़ियों का हौसला बढ़ा रहे हैं। कोच इंद्रदेव संग राज कुमार पाल नन्हें खिलाड़ियों को लाइव मैच के द्वारा सिखाते हैं इंटरनेशनल हॉकी के गुण। यह अद्भुत नजारा देखते ही बनता है। क्योंकि इन नन्हें बच्चों में से ही कई बनेंगे ललित उपाध्याय और राज कुमार पाल। ललित उपाध्याय जो इस समय हॉकी ओलंपिक में भारत की तरफ से खेल रहे हैं, वो भी मेघबरन स्टेडियम से तेजू भैया के शिष्य हैं। नन्हें बच्चों को ललित भैया से पदक की उम्मीदें। भारत की ओलंपिक जीत में करमपुर का भी हाथ होना तय माना जा रहा है। इसका सबको यकीन है। अब तक सारे मैचों में बच्चे करते आएं है भारतीय टीम की पुरजोर हौसला अफजाई।

ऐसा परिवार जो हॉकी खेलता एक साथ है, देखता एक साथ है और जीता साथ है…
“वो अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल, मगर लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया।” एक समय था जब गाजीपुर के पिछड़े और विरान इलाके में खेल की नर्सरी तैयार करने तेजू सिंह अकेले चले थे। लेकिन उनके पूरे परिवार का समर्थन हर वक्त उनके साथ रहा। आज भी इस परिवार के सदस्य हाकी खेलते साथ है, देखते एक साथ हैं और जीते भी एक साथ..। ऐसे तेजू सिंह ने मेघबरन स्टेडियम के हाकी मैदान पर खेलने वाले सभी खिलाड़ियों को एक परिवार की तरह रखा है, सम्मान दिया है। खेल प्रेमियों को आमंत्रण दिया गया है कि मंगलवार को साढ़े तीन बजे करमपुर स्टेडियम में पहुंचे और इस अद्भुत नजारे और ऐतिहासिक सेमीफाइनल का आनंद लें। प्रोजेक्टर पर चल रहे इस मैच को जाने ये हॉकी के छोटे बच्चे कैसा महसूस करते हैं ?भारतीय टीम और अपने ललित भैया को देख कर। तेजू भैया का सपना सच होने के करीब है। भारत और पदक में अब एक ही मैच का फासला है। करमपुर का लाल, ललित करेगा ओलंपिक में कमाल।