अब बैरिया में गरम हुई सियासत..
बलिया। उत्तर प्रदेश की सियासत की बात करें तो,.ज्यादातर सफेदपोशों की राजनीति जाति और धर्म पर टिकी है। यूपी के सात चरणों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है। वोटों की गिनती 10 मार्च को होनी है। खास बात यह है कि अभी भी कई विधानसभा सीटों पर टिकट को लेकर पेंच फंसा हुआ है। ऐसे में चुनाव बिल्कुल करीब है और उम्मीदवारों की घोषणा तक नहीं की गई है। इनमें जनपद की बैरिया व बलिया सीट भी शामिल है।
यूपी की राजनीति में कई कद्दावर नेता हैं, तो बलिया से आते हैं।उनकी चर्चा दिल्ली की सियासत तक होती है. पूरे बलिया में कुल मतदाताओं की संख्या 2358606 है। जिसमें पुरुष 1293860 और 1064676 महिला वोटर शामिल हैं। अगर हम विधानसभा की बात करें तो यहां कुल सात विधानसभा क्षेत्र हैं। जिनमें बैरिया, बलिया नगर, फेफना, बांसडीह, बेल्थारारोड, सिकंदरपुर और रसड़ा शामिल हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण सीट बैरिया विस की मानी जाती है।
यह सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है। दोआब (दो नदियों के बीच बसे) क्षेत्र को बैरिया विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र हमेशा से अपने बागी तेवर के लिया जाना जाता रहा है। यहां कुल आबादी में से 3, 44, 179 मतदाता है। जिसमें यादव वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा बताई जाती है।
क्षत्रीय मत भी यादव मत के तकरीबन बराबर हैं। तीसरे स्थान पर दलित वोट बताया जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस विधानसभा में निर्णायक वोटरों की भूमिका में ब्राह्मण आते हैं। देखा जाए तो ब्राह्मण वोटरों पर हर पार्टी की नजर हमेशा टिकी रहती है।
हम बात करें पार्टियों की तो भाजपा बनाम सपा अथवा बसपा हमेशा ही बैरिया विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला है। वर्ष 1991 से ही यहां जातिगत समीकरण क्षत्रिय बनाम यादव तथा निर्णायक वोट इनमें हमेशा ही ब्राह्मणों के रहे हैं। वर्ष 2022 का चुनाव योगी बनाम अखिलेश के हैं, तो जाहिर सी बात है बैरिया में भी इसका असर दिख रहा है। यानी क्षत्रिय और यादव वोटर की लडाई होगी। इसमें ब्राह्मण जिस करवट जाएंगे जाहिर है विधायक उस पार्टी का होगा। लेकिन इस बार बैरिया में ब्राह्मण प्रत्याशि भी ताल ठोकते नजर आ रहे हैं। अगर यह वोट कॉंग्रेस और बीएसपी की तरफ शिफ्ट नहीं होता है, तो संभावना है ब्राह्मणों का झुकाव बीजेपी या एसपी की तरफ होगा। अबकी बार किस दल का विधायक चुना जाएगा यह समय बताएगा।
प्रमुख दलों के ब्राह्मण प्रत्याशी की तरफ भी इन मतदाताओं का झुकाव संभव है। सपा व बसपा के पास जातीय मतदाताओं की संख्या भी कम नहीं है। हालांकि भाजपा से ब्राह्मण की नाराजगी दिख तो नहीं रही है, लेकिन ऐसा हुआ तो बीजेपी से नाराजगी एसपी की ओर वोट को ले जा सकता है। ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है। यही डर बीजेपी को सता रहा है।
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बैरिया में राजनीतिक जीत..
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1991 में भारत सिंह बीजेपी से इस सीट पर जीत कर आए और लगातार तीन बार जीत हासिल की।
2007 में बीएसपी ने खाता खोला। इस सीट से सुभाष यादव ने जीत दर्ज की।
2012 में एसपी ने जयप्रकाश को प्रत्याशी बनाया और एसपी ने यहां से जीत दर्ज किया।
2017 में बीजेपी की लहर ने दोबारा बीजेपी को काबिज कर दिया और सुरेंद्र सिंह विधायक बने।
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