क्या तीसरी बार बलिया में खिलेगा “कमल” ?





“नीरज शेखर” के चुनाव मैदान में उतरने से राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज

अखिलानंद तिवारी

बलिया। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही बलिया लोकसभा में सियासी हलचल तेज हो गई है। सपा व बसपा ने भले ही अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन दलों के दावेदार अभी से अपनी डफली, अपना राग अलाप रहे हैं। बलिया में तीसरी बार कमल खिलाने को लेकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर जनपद के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता अभी से डोर-टू- डोर काम शुरू कर दिए हैं। हर बार की तरह इस बार भी चुनावी मौसम आते ही पूर्वांचल में क्षत्रियों के “क्षत्रप” रहे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नाम की चर्चा होने लगी है। ऐसा होना भी लाजमी है, क्योंकि बलिया की मिट्टी में पैदा हुए सियासत के सबसे बड़े शख्सियत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर एवं उनके परिवार का समाज एवं अपनों के प्रति हमेशा समर्पण रहा है।

चार दशक से अधिक पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार ने किया बलिया का प्रतिनिधित्व

बलिया लोकसभा सीट की बात करें तो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के परिवार ने चार दशक से अधिक बलिया का प्रतिनिधित्व किया है। इस बार भी बलिया के मतदाताओं ने मन बनाया तो इस परिवार को एक और मौका मिल सकता है। भाजपा ने पूर्व पीएम चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर (वर्तमान राज्यसभा सदस्य) को बलिया लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है। राज्यसभा सांसद नीरज शेखर की “जन आशीर्वाद यात्रा” सोमवार को गाजीपुर जनपद के कासिमाबाद विधानसभा क्षेत्र से शुरू होकर मुहम्मदाबाद, फेफना, बलिया सदर से होते हुए बैरिया विधानसभा में जाकर अष्ट शहीद स्थल पर समाप्त हुई। जनसंपर्क यात्रा में गाड़ियों का काफिला व जनसमूह चल रहा था। प्रत्येक विधानसभा के चट्टी- चौराहों पर अपने चाहते प्रत्याशी का समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया। लेकिन चिंताजनक बात यह रही कि विधानसभा का नेतृत्व करने वाले ज्यादातर भाजपा के वरिष्ठ नेता अपने समर्थकों के साथ पार्टी प्रत्याशी का स्वागत करते नहीं दिखाई दिए। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बलिया लोकसभा सीट पर 17 बार के संसदीय चुनाव में दस बार पूर्व प्रधानमंत्री व उनके परिवार ने जीत दर्ज की है। बलिया लोकसभा क्षेत्र में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर एवं उनके परिवार से नजदीकी रखने वालों की कमी नहीं है। इस लोकसभा में आने वाले क्षत्रिय मतदाता सहित भारतीय जनता पार्टी के समर्थक कदम से कदम मिलाकर नीरज शेखर के साथ चलने को तैयार हैं। उधर अन्य दलों के समर्थक अपनी डफली, अपना राग अलाप रहे हैं। देखा जाए तो बलिया लोकसभा सीट पर प्रमुख दलों में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, ऐसे में उनके समर्थक अभी भी उहापोह की स्थिति में है।

राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठेगा, अंदाजा लगाना मुश्किल..?

वर्तमान राज्यसभा सांसद और दो बार बलिया संसदीय सीट का प्रतिनिधत्व कर चुके सांसद नीरज शेखर एक बार फिर बलिया लोकसभा सीट पर कमल ​खिलाने के लिए मैदान में उतर गए हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर और दूजा देवी के ​द्वितीय पुत्र नीरज शेखर बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव के रहने वाले हैं। पहली बार 29 दिसंबर 2007 को उन्होंने अपने पिता व पूर्व प्रधानमंत्री स्व.चंद्रशेखर की मृत्यु के बाद उपचुनाव में समाजवादी पार्टी से बलिया निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा उपचुनाव लड़ा था। वह पहले चुनाव में 2, 95, 000 से अधिक मत प्राप्त कर जीत हासिल की थी। इसके दो वर्ष बाद 2009 में 15वीं लोकसभा के लिए वह पुनः बलिया लोकसभा क्षेत्र से साइकिल पर सवार होकर चुनाव लड़े और जीते। दो बार के बाद मोदी लहर में वर्ष 2014 के आम चुनाव में वह भाजपा के भरत सिंह से चुनाव हार गए। लेकिन हारने के बाद भी वर्ष 2014 में समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें राज्यसभा भेजने का काम किया। इसके बाद वर्ष 2019 में वह समाजवादी पार्टी की सदस्यता छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। तभी भाजपा से राज्यसभा के लिए चुने गए और वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। कहा जाता है कि राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठेगा यह कोई नहीं बता सकता। हुआ भी कुछ ऐसा ही है। नीरज शेखर के राज्यसभा सांसद रहते हुए बलिया लोकसभा के वर्तमान सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काट दिया गया और उन्हें पुनः मैदान में उतारा गया है।





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