बलिया लोकसभा : सपा को खोई जमीन की तलाश*





*’साइकिल’ की जीत या ‘कमल के फूल’ की हैट्रिक*
बलिया। पिछले दो चुनावों से असफलता का मुंह देख रही समाजवादी पार्टी इस बार बलिया लोकसभा सीट पर खोई हुई जमीन वापस लेने के लिए जी जान से जुटी है। समाजवादी पार्टी ने विलंब से सही, लेकिन अपने धुरंधर प्रत्याशी के नाम की सोमवार को घोषणा कर दी। सपा से दूसरी बार बड़ी उम्मीद के साथ चुनाव मैदान में सनातन पांडेय को उतारा है। वह साइकिल को रफ्तार देने में लगे हैं। सनातन पांडेय का आमना-सामना पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र एवं राज्यसभा सांसद नीरज शेखर से होना तय माना जा रहा है। इस बार बलिया लोकसभा सीट पर साइकिल की जीत होगी या कमल का फूल हैट्रिक लगाने में सफल होगा यह तो आने वाला समय ही तय करेगा।

*बलिया लोकसभा सीट पर दो बार रहा है सपा का कब्जा*

देखा जाए तो सपा और भाजपा के दिग्गज सीट पर जीत पाने के लिए नए पैंतरे ईजाद करने में लग गए हैं। चर्चा है कि सपा भी इस बार जन बल के साथ धन झोंकने में भी कोई गुरेज नहीं करेगी। इसकी पूरी तैयारी की जा रही है।
पूर्वांचल पर नजर डालें तो बलिया लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का दो बार कब्जा जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के आकस्मिक निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र नीरज शेखर पहली बार समाजवादी पार्टी से बलिया लोकसभा सीट पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिदिन दी बहुजन समाज पार्टी के विनय तिवारी को हराया था। इसके बाद वर्ष 2009 में पुन: सपा ने नीरज शेखर को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की थी।

*पहली बार वर्ष 2014 में बलिया में खिला था कमल*

सनद रहे कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार नीरज शेखर को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी भरत सिंह ने मोदी लहर में हारने का काम किया। भाजपा उम्मीदवार की इस जीत के साथ पहली बार बलिया लोकसभा सीट पर कमल खिला था। इसके बाद से ही सपा अपनी खोई जमीन की तलाश में है। समाजवादी पार्टी ने वर्ष 2019 में भी सनातन पांडेय को चुनाव मैदान में उतरकर अपनी खोई जमीन वापस लेने का भरपूर प्रयास किया था, लेकिन अंततः वह चुनाव जीतने में असफल रहे। तब सनातन पांडेय भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त से थोड़े अंतर से चुनाव हार गए थे।

*बलिया से चंद्रशेखर को जीत दिलाने में सपा की रहती थी हम भूमिका*

देखा जाए तो समाजवादी पार्टी ने बलिया लोकसभा सीट से भले ही दो बार चुनाव जीता हो, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को बलिया से संसद भेजने में सपा की अहम भूमिका रहती थी। तब पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से मुलायम सिंह के करीबी रिश्ते पूरे देश में चर्चा का विषय हुआ करता था। क्योंकि मुलायम सिंह ने चंद्रशेखर के जीवित रहते कभी समाजवादी पार्टी से किसी उम्मीदवार को बलिया लोकसभा सीट से टिकट नहीं दिया।
जब चंद्रशेखर भारत के आठवें प्रधानमंत्री बने तब भी इस लोकसभा सीट पर सजपा के साथ सपा का समर्थन था।

*पिछले लोकसभा चुनाव में नीरज शेखर को सपा ने नहीं दिया था टिकट*

बलिया लोकसभा सीट पर आठ बार वर्ष 1977 से 2004 तक चंद्रशेखर ने जीत हासिल की थी। उनके निधन के बाद चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर को भी इस निर्वाचन क्षेत्र से जनता ने अपना जनप्रतिनिधि चुनकर संसद में भेजने का काम किया। वह वर्ष 2007 और 2009 में सांसद चुने गए। इस बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा सांसद नीरज शेखर को बलिया लोकसभा सीट का प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है। पिछले लोकसभा चुनाव में नीरज शेखर को समाजवादी पार्टी ने टिकट नहीं दिया था। जबकि वर्ष 2014 का आम चुनाव सपा के नीरज शेखर एवं भाजपा के भरत सिंह के बीच हुआ था। भाजपा के भारत सिंह को 3, 59, 758 वोट मिले थे। दूसरे पायदान पर रहे समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर को 2, 20, 324 वोट पाकर संतोष करना पड़ा था। एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले कमल के फूल को खिलाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर चुनाव मैदान में उतरे हैं। उनका मुकाबला सपा के सनातन पांडेय से होना लगभग तय माना जा रहा है। अब देखना है कि सपा अपनी खोई हुई जमीन वापस ले लेती है या भाजपा हैट्रिक लगाने में सफल हो जाती है।





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