*गंगा -जमुनी तहजीब की मिसाल बनी परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद की जयंती*





width=”1024″ height=”668″ c

*”शहीदों के चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों…”*
अखिलानंद तिवारी
गाज़ीपुर। दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के धामूपुर गांव में स्थित शहीद स्मारक में परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के जयंती भव्य तरीके से मनाई गई। जयंती में उस वक्त चार चांद लग गए जब देश के संघ प्रमुख डा. मोहन राव भागवत शहीद स्मारक पहुंचे। वहां कैप्टन मकसूद गाजीपुरी के साथ परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद और रसूलन बीबी की प्रतिमा को माल्यार्पण कर नमन किया। इसके बाद मंच पर विराजमान हुए। संघ प्रमुख मोहन भागवत को शहीद परिवार के लोगों ने स्मृति चिन्ह और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। उसके बाद मोहन भागवत ने शहीद के परिवार शमीम अहमद, परवेज, जैनुल को वस्त्र देकर सम्मानित किया। फिर महाराष्ट्र के लेखक डा.रामचंद्रन श्रीनिवासन द्वारा लिखित पुस्तक मेरे पापा परमवीर का विमोचन किया। उसके बाद कैप्टन मकसूद गाजीपुरी द्वारा लिखित बलिदानी पुस्तक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित पुस्तक को संघ प्रमुख मोहन राव भागवत को सौंपा। लोग कार्यक्रम में गंगा -जमुनी तहजीब की मिसाल देते रहे।
इस मौके पर कैप्टन मकसूद गाजीपुर ने कहा कि इस पुस्तक में देश के सभी बलिदानी का स्टोरी भरपूर मात्रा में संकलित किया गया है। मुख्य अतिथि संघ प्रमुख डॉ. मोहन राव भागवत ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि “शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा”। जीवन जीकर अपने अनुभव के आधार पर स्‍मृति बनाने वाले ये भगवान स्‍वरुप लोग है। यह कठिन तपस्‍या है। उन्‍होंने कहा कि समाज में दो तरह के लोग होते हैं, एक योगी होते हैं जो सत्‍य के लिए निरंतर साधना करते हैं। दूसरे वह मानव होते है, जो सत्‍य के लिए रण में लड़ते हैं और वीरगति को प्राप्‍त होते हैं। इसलिए वह उत्‍तमगति के अधिकारी होते हैं। वीर सैनिक अपने प्राण देकर अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हैं। वह अपने लिए नहीं अपने देश के लिए जीते हैं और देश के लिए लड़ते हैं। वीर अब्‍दुल हमीद का उदाहरण सबसे उत्‍तम हैं कि जीवन कैसा होना चाहिए। उन्‍होंने देश के लिए अपनी प्राणों की आहुति देकर अपने नाम को अमर कर लिया, इसीलिए हम लोग उनको याद करते हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सभी लोगों को वर्ष में एक बार जरुर परमवीर चक्र विजेता वीर अब्‍दुल हमीद धाम में आना चाहिए और उनके स्‍मतियों को स्‍मरण कर आचार-व्‍यवहार के प्रयोग में अपनाना चाहिए। वास्तव में शहीद अमर हो जाते हैं। देश के लिए जीवन जीना है, उपभोग, लालच नहीं करना है। ऐसे स्मृति को जागृति करना न्याय प्रिय है। उन्होंने कहा कि पशु और नर में भोजन, आराम, प्रजा परिवार को बढ़ाना खतरों से बचाना सामान्य प्रवृत्ति है। मनुष्य में संवेदना होती है। पशु घास खाता है,जब तक खाता है वह छोड़ता नहीं, भूख मिट जाता है तो स्वतः छोड़ देता है। मनुष्य को परिवार की चिंता रहता है, अपने भूखे रहकर भी दूसरों को पेट भरता है। अगर उसके थाली के सामने दूसरा भी आ जाए तो उसको भी खिलाने कि चाह रहता है। मनुष्य का विकास इस तरह से होता है।
सर्कस में बकरी शेर एक थाली में खाना खाते हैं। हाथी साइकिल चलाता है। बंदर मोटरसाइकिल चलाता है। यह विकास नहीं है। शेर का काम है कि जंगल में रहे, हाथी अपने सूंड से बड़े-बड़े पेड़ को उखाड़े। मनुष्य सब के बारे में सोचते हैं, जो सबके बारे में सोचता है। एक बार उसके बारे में भी सभी लोग सोचते हैं। महाराष्ट्र के कोकण जिले में एक गांव है, जहां चार लोग बड़े हैं। जिसमें डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भी हैं। गांव के लोग बहुत चाह रखते हैं। सरहद पर गोलियां चलाती हैं। किस गोली पर किसका नाम है यह सैनिक नहीं सोचता,सैनिक की सोचता है कि पूरा भारत माता की रक्षा करना है। भारत के सैनिक तनख्वाह पर नहीं देश के मातृ भूमि के रक्षा के लिए अपने को कुर्बान कर देते हैं। देश का सेवा करते हैं। हर लोगों को जीवन ऐसा होना चाहिए। इस मौके पर कैप्टन मकसूद, नसीम रजा खान, जिला अध्यक्ष सुनील सिंह, शमीम अहमद,अनिकेत चौहान, दुर्गा चौरसिया, संतोष मिश्रा, अजय चौहान, डॉक्टर केपी सिंह, संजीत प्रजापति, अनिल कुमार पांडे, मनोज यादव, शैलेश कुमार, सरोज मिश्रा, श्रवण सिंह, पारस यादव, डॉक्टर एके वर्मा, खंड विकास अधिकारी संजय गुप्ता, प्रधान सिकानु राम, सचिव राजकमल, निखिल यादव, सहित अन्य लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कैप्टन मकसूद गाजीपुरी और संचालन सादात ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि संतोष यादव ने किया।





Please share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!