वाराणसी। वर्ष १९१५ में महामाना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में इन दिनों उथल-पुथल मची है। कहीं केंद्र,तो कहीं स्थानीय दबाव काफी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में यहां सम्मान व स्वाभिमान के साथ नौकरी करने वाले कहीं न कहीं कसक रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला गुरुवार को सामने आया है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित आयुर्वेद संकाय के रसशास्त्र एवं भैषज्य विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आनंद चौधरी ने मुख्य आरक्षाधिकारी (चीफ प्राक्टर) के पद से गुरुवार को त्याग पत्र दे दिया है। इस इस्तीफे को अभी तक कुलपति ने स्वीकार नहीं किया है। बीएचयू के कुलपति को दिए गए इस्तीफे में प्रो. चौधरी ने यह त्याग पत्र अपने निजी कारणों स देना बताया है। पत्र मे उन्होंने अपना स्वास्थ्य सही न रहने को भी कारण बताया है। चर्चा है कि चीफ प्राक्टर के इस्तीफा देने के पीछे कारण कुछ और भी हो सकता है, जिसे वह जगजाहिर नहीं करना चाहते। हालांकि इस्तीफे के बाद से उनके करीबियों में खुसफुसाहअ शुरू हो गई है। बीएचयू के कुछ जिममेदार भी कारण को जानते हैं, लेकिन बताना नहीं चाहते। बाहर के लोग केवल अनुमान लगा रहे हैं, प्रो. चौधरी पर कई तरह के दबाव बताए जा रहे हैं।
सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रो. आनंद चौधरी के पास पहले से ही चिकित्सा, शिक्षा एवं शोध की जिम्मेदारी है। अब और काम बढऩे से वह दिमागी रूप से उसे झेल नहीं पा रहे थे। जबकि कुलपति उन पर विश्वास करते हुए उन्हें एक और जिम्मेदारी देते हुए विश्वविद्यालय की सुरक्षा व्यवस्था को भी सौंपा है। इस दबाव की वजह से उन्होंने पिछले माह भी कुछ दिनों के लिए अवकाश लिया था। इस दौरान भी वह अपने आवास से ही फोन पर सुरक्षा व्यवस्था एवं अन्य कार्यों का निर्वहन करते रहे। अब इसे झेलना उनके लिए कष्टकारकी हो गया है। उनका स्वास्थ्य पुन: खराब होने लगा है। हालांकि उनके इस्तीफा को लेकर सभी आश्चर्य चकित हैं।