सब खामोश ! बस एक आवाज…

बलिया। नेता खामोश हैं। अधिकारी मौन हैं। नगर पालिका उदासीन है। जनता बिचारी समस्याओं को झेलते-झेलते अंधी, गूंगी और बहरी बन चुकी है। अब नगर को नरक होने से कौन बचाएगा ? कौन इस भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाएगा ? इसकी तलाश लंबे समय से लोग कर रह थे ? काफी समय गुजरने के बाद इसी शहर के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज कुमार हंस ने इस लड़ाई को शुरू की है। पहले उन्होंने पत्राचार किया, लेकिन कोई सुधि न लेने पर सोमवार को नगर पालिका का घेराव किया। उनके साथ कुछ नगरवासी भी इस लड़ाई को धार देने के लिए कदम आगे बढ़ाए हैं। देखना है यह लड़ाई क्या रंग लाती है ?

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी मनोज कुमार हंस अपने तेवर एवं जुझारूपन के लिए लंबे समय से जाने जाते हैं। उनकी इस समाजसेवा को कुछ लोग बेवकूफी भी कहते हैं, लेकिन हर बार उनकी लड़ाई शासन व प्रशासन के सिस्टम को गहरा चोट पहुंचाने का काम किया है। ज्यादातर मामलों में हंस की लडा़ई ने जनपद की सामाजिक दिशा और दशा बदलने का भी काम किया है। एक बार फिर वह पुराने अंदाज में नगर पालिका की टूटी, उधड़ी और गड्ढ़े में तब्दील सड़कों का मुद्दा लेकर सड़क पर नपा के आमने-सामने हैं। सोमवार को ईओ नगर पालिका का उन्होंने घेराव किया।

जिसमें उनके द्वारा नगर को नरक बनने से रोकने का सुझाव दिया गया है। वर्तमान में काजीपुरा से एसी कालेज, रविदास मंदिर तक सड़क पानी में डूबी हुई है। यही हाल शहर की अन्य सड़कों का है। ज्यादातर मुहल्लों की सभी सड़कें तथा उस पर संचालित सरकारी एवं निजी कार्यालय के आस-पास जलजमाव हैं। लोगों का आना-जाना मुश्किल हो गया है। इससे मच्छर जनित बीमारियों ने पैर फैलाना शुरू कर दिया है। जिससे डेंगू, मलेरिया, फ्लेरिया आदि बीमारी घर कर सकती है। बहुत लोग इसकी चपेट में हैं।

ज्ञापन में वरिष्ठ अधिवक्ता का यह भी कहना है कि सड़क, जलजमाव एवं गड्ढा इस कदर भयावह स्थिति उतपन्न कर चुका है कि अब राष्ट्रीय राजमार्ग से होकर आने वाली गाडिय़ों का रूट नारायणी टाीज से होकर गुजर रहा है। गलती से सीधा रुप से जाने वाले जोखिम ले लिए तो पलटना तय है। इस समस्या को लेकर लंबे समय से लोग कसक रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। नगर में जलजमाव एवं खस्ताहाल सड़कों को लेकर ईओ नगर पालिका ने बारह दिन के भीतर काजीपुर समेत शहर की सड़कों को दुरूस्त कराने का आश्वासन दिया है। जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग-३१ से खुद को हटाते हुए कहा कि यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इसके लिए जिलाधिकारी, पीडब्लूडी एंव एनएच से जुड़े अधिकारी ही कुछ कर सकते हैं।

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