डाला छठ : डूबते सूर्य को अर्ध्य दे व्रती लौटे घर, प्रमुख घाटों पर दिखा आस्था का जनसैलाब..


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प्रमुख मार्गों एवं घाटों पर सुरक्षा के किए गए थे पुख्ता इंतजाम
गाजीपुर। लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व पर रविवार शाम जनपद के कोने -कोने से विभिन्न घाटों में कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस बीच महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। सोमवार सुबह उगते सूर्य देवता को जल दिया जाएगा और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन होगा। इस पर्व को लेकर प्रशासन पहले से ही स्थानीय लोगों की मदद से घाटों की साफ- सफाई तथा लाइटिंग की व्यवस्था की थी। हर घाटों पर पुलिस प्रशासन के साथ महिला कांस्टेबलों की मौजूदगी देखने को मिली।


गाजीपुर शहर के विभिन्न घाटों पर जनपद की जिलाधिकारी आर्यका अखौरी तथा पुलिस अधीक्षक रोहन प्रमोद बोत्रे नाव से भ्रमण करते रहे। भुड़कुडा़ कोतवाली अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक हीरामणि यादव ने बताया कि हर घाटों की मानिटरिंग में पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। जिला मुख्यालय से व्रती प्रियंका सिंह एवं विमला सिंह ने बताया कि घाटों की साफ-सफाई एवं लाइटिंग की व्यवस्था पुलिस प्रशासन एवं स्थानीय लोगों की मदद से काफी अच्छी है। कोविड के बाद इस साल घाटों पर इतनी भीड़ देखने को मिल रही है। इस व्रत के बारे में पूछे जाने पर श्रीमती सिंह ने बताया कि खरना के दिन से ही छठ व्रत शुरू हो जाता है। दिनभर व्रती निर्जला उपवास के बाद शाम को मिट्टी के बने नए चूल्हे पर आम की लकड़ी की आंच से गाय के दूध में गुड़ डालकर खीर और रोटी बनाते हैं। उसके बाद इसे भगवान सूर्य को केले और फल के साथ भोग लगाकर फिर प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं। पहले इस प्रसाद को व्रतधारी ग्रहण करती हैं। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद अब व्रती लगातार 36 घंटे तक निर्जला उपवास के बाद सोमवार को उगते हुए सूर्य को जल अर्पण करने बाद जल-अन्न ग्रहण करेंगी। इसी क्रम में जौहरपुर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि अभय सिंह द्वारा प्राइमरी पाठशाला के जलाशय घाट पर व्रती महिलाओं के लिए समुचित व्यवस्था किया गया था। जलाशय के चारों तरफ गोताखोरों की व्यवस्था व लाइटिंग की व्यवस्था की गयी थी। छठ पर्व के विषय में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानी नंदन यति जी महाराज ने सिद्धपीठ स्थित जलाशय के घाटों पर बेदी बनवा कर सैकड़ों छठ भक्ति माताओं को फल वस्त्र डाली के साथ फलाहार की टोकरी वितरण करते हुए बताया कि छठ पर्व वर्ष में दो बार आता है। एक बार चैती छठ व दूसरा कार्तिक मास का छठ।कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाले इस पावन पर्व को ‘छठ’ के नाम से जाना जाता है। इस पूजा का आयोजन पूरे भारतवर्ष में बड़े पैमाने पर किया जाता है।ज्यादातर पूर्वांचल व बिहार के लोग इस पर्व को मनाते हैं।

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