गाजीपुर। आस्था व विश्वास का प्रतीक रेवतीपुर गांव के मध्य में स्थित मां भगवती देवी का मंदिर श्रद्धालुओं की सभी मुरादों को पूरा करने वाला है। इस दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं। यहां बारहों महीने अखंड दीपक जला करता है। बीच- बीच में सवा माह का हरिकीर्तन भी आयोजित होता है। देवी मंदिर में जो भी सच्चे मन से दरबार में आता है, वह खाली हाथ नहीं जाता। नवरात्र के पहले दिन से ही यहां पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भक्त मां के दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं।
मान्यता है कि मुस्लिम शासन काल में काम मिश्र व धाम मिश्र ने फत्तेहपुर सिकरी से मां की मूर्ति लाकर यहां पर स्थापित किए। ब्रिटिश हुकूमत में अकाल पड़ जाने के कारण लोगों को भूखे मरने की नौबत आ गयी थी, लेकिन इस दशा में भी तत्कालीन प्रशासन ने लोगों से लगान वसूलने का फरमान जारी कर दिया। इससे लोगों में हड़कंप मच गया था। तभी मां ने एक वृद्धा का रूप धारण करके पूरे गांव का लगान अंग्रेजों के पास ले जाकर चुकाया और लोगों को इस मुसीबत से छुटकारा दिलाई। इस तरह यह धाम समरसता व भाईचारे का भी प्रतीक है। मंदिर पंचतलीय है। प्रत्येक तल में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों की नक्काशी है। इन मूर्तियों से अद्भूत नक्काशी कला के बारे में पता चलता है। मां की मूर्ति के पास लगे खंभों को लोगों ने उस समय यातायात सुविधाओं के अभाव के कारण अपने कंधों पर लाकर मंदिर में स्थापित किया था।नवरात्र के इन पावन दिनों में मंदिर की आकर्षक सजावट की गई। इससे मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। इन दिनों मुंडन संस्कार भी शुरू हो गया है। इससे मंदिर परिसर में रौनक की छटां बिखर गई है।