बाढ़ के पानी से रेवतीपुर ब्लाक में 1000 हजार एकड़ केले की खेती बर्बाद
गाजीपुर। कोरोना के बाद अब बाढ़ ने किसानों पर बज्र ढा दिया है। गंगा किनारे बसे रेवतीपुर विकास खंड के कई गांवों में केले की खेती करने वाले सैकड़ों किसानों की फसल नष्ट हो गई है। इस बार किसानोंं पर बाढ़ की भारी मार पड़ी है। एक पखवाड़े से अधिक समय तक खेत में पानी लगने के कारण 1000 एकड़ से अधिक केले की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। इससे किसानों को करोड़ोंं का नुकसान हुआ है। ऐसे में किसानों को आर्थिक चोट पहुंचने के साथ, बच्चों की शिक्षा, बेटी की शादी, कर्ज पर लिए पैसे..सहित खेती से होने वाले अन्य आवश्यक कार्यो पर भी ग्रहण लग गया है।

रेवतीपुर विकास खंड में बाढ़ का असर खत्म होने के बाद जलजमाव की वजह से अब केले की फसल सडऩे लगी है। केले की तैयार पौधे सड़ कर खेत में गिरने लगे हैं। यह देख किसानों का कलेजा सुबकने लगा है। किसानों का कहना है कि बाढ़ खत्म होने के काफी दिन बाद भी खेतों में पानी लगे रहने से यह हालात पैदा हुए हैं। किसानों ने फसल को बचाने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन कोई उपाय काम नहीं आया। कुछ खेतों में फसल तैयार होने वाली थी, लेकिन पूरी तरह तैयार न होने की वजह से व्यापारी फसल को ओने -पौने दामों में खरीद रहे हैं। काफी चिरौनी करने के बाद भी कुछ व्यापारी उसे खरीद तक नहीं रहे हैं।

वह किसान कसक रहे हैं, जिनकी फसल तैयार होने में थोड़ी-बहुत कसर रह गई थी और अब वह सड़ कर खेत में गिर रहा है। उसके खरीददार तक नहीं मिल रहे हैं। इससे किसानों को चिंता और भी बढ़ गई है। करीब २० दिन पहले आई बाढ़ की वजह से क्षेत्र के किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है। रेवतीपुर ब्लाक में लगभग 1000 बिगहा से ऊपर केले की खेती किसानों ने किया है। लेकिन बाढ़ आ जाने की वजह से किसानों की किस्मत पर पानी फिर गया है। जानकारों की माने तो केले की खेती में एक बीघे में 60000 से 65000 रुपये तक का खर्च है। कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो महंगे दामों पर खेत मलगुजारी (पेशकी) लेकर करते हैं। इस बाढ़ ने इन किसानों की पूरे साल की रोजी-रोटी तक छीन लिया है। 0इन्हें केवल नुकसान का सामना करना पड़ा है। कुछ जागरूक किसान ऐसे भी हैं, जो अकेले २५ से ३० बीघा तक अकेले ही खेती किए हुए हैं।

उधर बाढ़ की त्रासदी झेल रहे किसानों की स्थिति को देख अधिकारी फसल की बर्बादी का सर्वे करने में जुटे हैं। यह कुछ गांवों का सर्वे किए हैं, लेकिन कई गांवों में इस सर्वे टीम का अता-पता तक नहीं हैं। किसानों को मुआवजा को लेकर भी असमंजस बना हुआ है। क्योंकि सर्वे टीम निष्पक्ष कार्य नहीं कर रही है। चारो तरफ से तबाह हो चुके किसानों को एकमात्र मुआवजे की आस हैं। देखा जाए तो रेवतीपूर ब्लाक के ज्यादातर लोग खेती-किसानी पर ही निर्भर हैं। उनके आय का एकमात्र स्रोत यही है। इसी से परिवार का भरण-पोषण, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तथा बेटी की शादी तक का काम होता हैं। देखा जाए तो अभी तक विभाग ने बाढ़ से हुए नुकसान का पूरा आकलन नहीं किया है। देखना है कि रेवतीपुर के किसानों के साथ कितना न्याय होता है?