पेंशन का सियासी खेलः पांच साल को पेंशन, 60 साल को ठेंगा..

बलिया। शिक्षक/कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। अब सही वक्त आया है। चुनावी वर्ष है। केंद्र एवं प्रदेश में भाजपा की सरकार है। शिक्षकों/कर्मचारियों की मांगें भी काफी हद तक जायज हैं। उनका तर्क और भी हुक्मरानों को झकझोरने वाला है। अगर राजनीतिज्ञों को पेंशन चाहिए, तो कर्मचारियों को क्यों नहीं। यह बड़ा सवाल है।

कर्मचारियों का यह भी कहना है कि मात्र पांच साल कुर्सी और पद पर रह कर लोग आजीवन पेंशन ले सकते हैं, तो 55 से 62 साल तक नौकरी करने वाला कर्मचारी क्या उसका हकदार नहीं है ? यह हमारे साथ अन्याय नहीं तो क्या है ? इसका समाधान कौन करेगा ?

इसी सवाल का जवाब पाने के लिए पूरे प्रदेश में शिक्षकों -कर्मचारियों ने मंगलवार को मोटर साइकिल जुलूस निकाल कर अपनी ताकत का एहसास प्रदेश सरकार को कराने का काम किया है। सरकार ने अब भी कर्मचारियों एवं शिक्षकों की मांगों को नहीं माना तो अगला आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। हालांकि कई जिलों में 28 को सरकारी कार्यालयों में तालाबंदी की घोषणा अधिकार मंच के जिलाध्यक्ष द्वारा की जा चुकी है। इससे शासन एवं जिला प्रशासन की बेचैनी बढ़ गई है। विधानसभा चुनाव के पूर्व शिक्षक -कर्मचारियों का यह आंदोलन निश्चित रूप से रंग ला सकता है। ऐसा लोगों का मानना है।

सरकार इस आंदोलन से दबाव में आ सकती है। पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य मांगों को मानने पर मजबूर भी हो सकती है। अगर सरकार ने घुटने टेके दिए तो कर्मचारियों और शिक्षकों की जय निश्चित है, और ऐसा नहीं हुआ तो अधिकार मंच का पराजय भी सुनिश्चित है।

मंगलवार को अधिकार मंच के बैनर तले विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों की मौजूदगी में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्रक दिया गया। जिलाधिकारी कार्यालय का पूरा परिसर शिक्षकों-कर्मचारियों की भीड़ से अटा पड़ा था। भीड़ इतनी थी कि लोगों को गिन पाना और देख पाना कठिन था।

प्रशासन की मौजूदगी में संगठन की नारेबाजी..
बलिया।
कलेक्ट्रेट में घंटों शिक्षकों- कर्मचारियों ने अपनी 21 सूत्री मांगों को लेकर प्रदेश एवं केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की..। शिक्षक -कर्मचारी कुछ इस तरह के नारे लगा रहे थे…“हमारी मांगें पूरी करो, पूरी करो- पूरी करो..”, “योगी-मोदी होश में आओ, होश में आओ- होश में आओ..,” “पुरानी पेंशन बहाल करो, बहाल करो- बहाल करो..” इंकलाब जिंदाबाद- जिंदाबाद जिंदाबाद…।

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