सियासी मैदानः अपनों को भूल गए “लाल बत्ती” वाले नेता जी…

देवेश सिंह
वाराणसी।
आगामी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर अभी से पार्टी समर्पित कार्यकर्ताओं की सूची तैयार कर रही है। वर्तमान राजनीति पर एक नजर डालें तो प्रमुख दल जिला संगठन के साथ ही मंडल एवं बूथ प्रभारियों को सक्रिय करने में जुटे हैं। लेकिन उन नेताओं के प्रति गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है, जो सत्ता में भागीदारी पाने के बाद अपनों को भूल गए। उनके द्वारा पिछले विस चुनावों में मतदाताओं से किए वादे झूठे निकले हैं।
हम बात कर रहे हैं वाराणसी उत्तरी विधानसभा 388 की। यहां एक दशक से विकास बिल्कुल बेपटरी है। समस्याओं का अंबार लगा है। सड़क और सीवरेज इस बार मुख्य मुद्दा बन सकता है। क्योंकि एक दशक से जनता इससे जूझ रही है और विकास की ओर टकटकी लगाए है। यह स्थिति खास कर वाराणसी उत्तरी विधानसभा में देखी जा सकती है। इस विस क्षेत्र की भोली-भाली जनता ने अपने चहेते जनप्रतिनिधि को बड़ी उम्मीद के साथ दोबारा विधायक बनाया और विधानसभा में भेजा। उन्हें लाल बत्ती भी मिली। लेकिन मंत्री जी अर्से से नासूर बनी समस्या, विकास एवं अपनों से दूरी बना लिए। इससे जनता में आक्रोश बढ़ रहा है।
देखा जाए बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा है। यहां जनता को बेहतर सुविधा पहुंचाने के लिए विकास की लंबी पारी खेली गई है। लेकिन कुछ विधानसभा में नेताओं ने इससे किनारा कर लिया है। कुछ वादा करके भूल गए, तो कुछ जनता का हाल जानने तक नहीं पहुंचे। विरोधी दल के नेताओं का आरोप है कि भाजपा नेता एवं संगठन का ध्यान विकास पर नहीं, बल्कि नाराज लोगों को मनाने में लगा है।
देखा जाए तो इस बार भाजपा की इस सीट से दो दावेदारों का नाम आ रहा है। वर्तमान विधायक और मंत्री रविन्द्र जायसवाल और दूसरा राहुल सिंह प्रबंधक संत अतुलानंद शिक्षण संस्थान समूह। उधर सपा से तीन नामों की चर्चा है। वीरेंद्र सिंह पूर्व मंत्री (पिछली बार बसपा के प्रत्याशी रहे थे) जिनकी वाराणसी के सवर्णों में बहुत अच्छी पैठ मानी जाती है। अगर वीरेंद्र सिंह को सपा प्रत्याशी बना देती है, तो भाजपा के लिए जीत कठिन हो सकती है। दूसरा नाम सपा के वरिष्ठ नेता ओपी सिंह का है। इनकी भी लोगों में अच्छी पैठ है। इस सीट पर पूर्व विधायक समद अंसारी भी दावेदार हैं। लेकिन इनकी दावेदारी भी मजबूत है। आने वाले समय में बहुत कुछ समीकरण बदल सकता है..। अभी कुछ कहना उचित नहीं होगा।
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-वाराणसी उत्तरी विधानसभा संख्या 388 की सीट यूपी की 403 सीटों में सबसे अहम सीट है। यह सीट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकसभा है। इस विधानसभा में 346724 रजिस्टर्ड वोटर हैं। इनमें 192216 पुरुष हैं और 154486 महिला वोटर हैं।
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पिछले चार विधानसभा चुनावों पर एक नजर डालें तो…
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वाराणसी उत्तरी विधानसभा से पिछले चुनाव 2017 की बात करें तो यहां बीजेपी के रविंद्र जायसवाल ने लगातार दूसरी बार 116017 वोट पाकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में कांग्रेस के अब्दुल समद अंसारी ने 70515 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। जबकि बसपा के सुजीत मौर्य को 32574 वोट मिले थे और यह तीसरे पायदान पर रहे।
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2012 में कौन जीता-कौन हारा इस विधानसभा चुनाव पर क नजर डालें तो भारतीय जनता पार्टी ने बेहद करीबी मुकाबले में जीत हासिल की थी। यहां से बीजेपी के उम्मीदवार रविंद्र जायसवाल ने बहुजन समाज पार्टी के सुजीत कुमार मौर्या को हराया था। बीजेपी उम्मीदवार रविंद्र जायसवाल को 47980 वोट मिले, वहीं बहुजन समाज पार्टी के सुजीत कुमार मौर्या को 45644 वोट मिले थे। बीएसपी उम्मीदवार को महज 2336 मतों से हार का सामना पड़ा था। इस चुनाव में कुल मतदान करीब 55.49 फीसदी था।
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15वीं विधानसभा चुनाव 2007 के नतीजे पर गौर करें तो समाजवादी पार्टी के हाजी अब्दुल सामद ने जीत हासिल की थी। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के शिवनाथ यादव को हराया था। निर्दलीय चुनाव लड़ी राबिया कलाम तीसरे स्थान पर रही थीं। जबकि बहुजन समाज पार्टी के विजया प्रकाश गुप्ता को चौथे स्थान पर रहना पड़ा था।
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14वीं विधानसभा चुनाव 2002 में समाजवादी पार्टी के अब्दुल कलाम ने भारी वोटों से जीत हासिल की थी। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के रविंद्र को हराया था, वहीं कांग्रेस के अब्दुल अजीज अंसारी तीसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बहुजन समाज पार्टी के राजेंद्र प्रसाद को चौथे स्थान पर रहना पड़ा था।
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