श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ का महत्व, कोरोना संकट में कैसे मनाएं..?

दिल्ली। पूर्ण अवतार श्रीकृष्ण ने भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी को पृथ्वी पर जन्म लिया था । उन्होंने बचपन से ही अपने असाधारण कार्यों से भक्तों पर आने वाली विपत्तियों को दूर किया। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल भारत में मंदिरों और धार्मिक संस्थानों में बड़े स्तर पर मनाई जाती है। त्योहार मनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में भिन्न-भिन्न होते हैं। कई लोग त्योहार के अवसर पर एक साथ आते हैं और इसे भक्ति के साथ मनाते हैं। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 30 अगस्त को है। सनातन संस्था द्वारा संकलित इस लेख में हम श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महत्व जानेंगे। इस साल भी कोरोना की पृष्ठभूमि में हमेशा की तरह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने की मर्यादा हो सकती है। वर्तमान लेख में हम यह भी देखेंगे कि आपात (कोरोना संकट) प्रतिबंधों में एक साथ न आने पर भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा अपने घर में कैसे की जा सकती है। यह लेख हिंदू धर्म द्वारा बताए गए ‘आपध्दर्म’ के हिस्से के रूप में चर्चा करता है।
0000
महत्व – जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का तत्व सामान्य से 1000 गुना अधिक कार्यरत रहता हैं। इस तिथि पर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करने के साथ-साथ भगवान कृष्ण की अन्य उपासना भावपूर्ण करने से श्रीकृष्ण तत्व का अधिक लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है। इस दिन व्रत रखने से मासिक धर्म, अशुद्धता और स्पर्श का प्रभाव महिलाओं पर कम होता है (ऋषि पंचमी के व्रत से भी यही परिणाम होता है)। (क्षौरादि तपस्या से पुरुषों पर प्रभाव कम होता है और वास्तु पर प्रभाव उदकशांति से कम होता है।)
00000
पर्व मनाने की विधि- इस दिन, दिन भर उपवास कर के बारह बजे बालकृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता है। तदुपरांत प्रसाद ग्रहण कर के उपवास का समापन करते हैं अथवा दूसरे दिन सवेरे दहीकाला का प्रसाद ग्रहण कर के उपवास का समापन करते हैं ।
00000
भगवान कृष्ण की पूजा का समय – भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का समय रात के 12 बजे है। इसलिए उससे पहले पूजा की तैयारी कर लेनी चाहिए। संभव हो तो रात के 12 बजे भगवान कृष्ण का पालना (गीत) लगाएं ।
0000
भगवान कृष्ण की पूजा – भगवान कृष्ण जन्म के गीत होने के बाद, भगवान कृष्ण की मूर्तियों या चित्रों की पूजा करनी चाहिए।
0000
षोडशोपचार पूजन: जो लोग भगवान कृष्ण की षोडशोपचार पूजा कर सकते हैं, उन्हें ऐसा करना चाहिए।
0000
पंचोपचार पूजन: जो लोग भगवान कृष्ण की ‘षोडशोपचार पूजा’ नहीं कर सकते, उन्हें ‘पंचोपचार पूजा’ करनी चाहिए। पूजन करते समय ‘सपरिवाराय श्रीकृष्णाय नमः’ कहकर एक एक उपचार श्रीकृष्ण को अर्पण करें। भगवान कृष्ण को दही-पोहा और मक्खन का भोग लगाना चाहिए। फिर भगवान कृष्ण की आरती करें। (पंचोपचार पूजा: गंध, हल्दी-कुमकुम, फूल, धूप, दीप और प्रसाद।)
0000
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कैसे करें? : भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से पहले, उपासक स्वयं को अपनी मध्यमा उंगली से दो खड़ी रेखाओं का गंध लगाये। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते समय छोटी उंगली के पास वाली उंगली यानी अनामिका से गंध लगाना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण को हल्दी-कुमकुम चढ़ाते समय पहले हल्दी और फिर दाहिने हाथ के अंगूठे और अनामिका से कुमकुम लें और चरणों में अर्पित करें । अँगूठे और अनामिका को मिलाने से बनी मुद्रा उपासक के शरीर में अनाहत चक्र को जागृत करती है। यह भक्तिभाव बनाने में मदद करता है।
0000
हम भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी दल क्यों अर्पित करते हैं? : देवता की पवित्रता देवता का सूक्ष्म कण है। जिन वस्तुओं में किसी विशिष्ट देवता के पवित्रक अन्य वस्तुओं से अधिक आकर्षित करने की क्षमता होती है, वे उस देवता को अर्पित की जाती हैं, तो स्वाभाविक रूप से देवता की मूर्ति में देवता का तत्व प्रकट होता है और इसलिए हमें देवता के चैतन्य का लाभ जल्दी मिलता है। तुलसी कृष्ण तत्व में समृद्ध है। काली तुलसी भगवान कृष्ण के मारक तत्व का प्रतीक है, जबकि हरी तुलसी भगवान कृष्ण के तारक तत्व का प्रतीक है। इसलिए भगवान कृष्ण को तुलसी चढ़ाते है।
0000
भगवान कृष्ण को कौन से फूल चढ़ाएं? : चूंकि कृष्ण कमल के फूलों में भगवान कृष्ण की पवित्रकों को आकर्षित करने की उच्चतम क्षमता होती है, इसलिए इन फूलों को भगवान कृष्ण को चढ़ाना चाहिए । यदि फूल एक निश्चित संख्या में और एक निश्चित आकार में देवता के चरणों में अर्पण करें तो देवता का तत्व उन फूलों की ओर आकर्षित होता है। इसके अनुसार भगवान कृष्ण को फूल चढ़ाते समय उन्हें तीन या तीन के गुणांक में लंब गोलाकार रूप में अर्पित करना चाहिए। भगवान कृष्ण को इत्र लगाते समय चंदन का इत्र लगाएं। भगवान कृष्ण की पूजा करते समय, उनके अधिक मारक तत्वों को आकर्षित करने के लिए चंदन, केवड़ा, चंपा, चमेली, खस, और अंबर इनमें से किसी भी अगरबत्ती का उपयोग करे ।
0000
श्रीकृष्ण की मानसपूजा – जो लोग किसी कारणवश श्रीकृष्ण की पूजा नहीं कर सकते, उन्हें श्रीकृष्ण की ‘मानसपूजा’ करनी चाहिए। (‘मानसपूजा’ का अर्थ है कि वास्तविक पूजा करना संभव न होने पर भगवान कृष्ण की मानसिक रूप से पूजा करना।)
0000
पूजन के बाद नामजप करना – पूजन के कुछ समय बाद भगवान कृष्ण का  ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ यह जप करें।
0000
अर्जुन की तरह निस्सिम भक्ति’ के लिए भगवान कृष्ण से प्रार्थना करना – इसके उपरांत भगवान श्रीकृष्ण द्वारा श्रीमद्भगवतगीता में दिए हुए, न में भक्त: प्रणश्यति । अर्थात मेरे भक्तों का कभी नाश नहीं होगा । इस वचन का स्मरण कर, अर्जुन के जैसी भक्ती निर्माण होने के लिए श्रीकृष्ण को मन से प्रार्थना करें।’
0000
दहीकला – विभिन्न खाद्य पदार्थ, दही, दूध, मक्खन को एक साथ मिलाने का अर्थ है ‘काला’। व्रजमंडल में गाय चराने के दौरान, भगवान कृष्ण ने अपने और अपने साथियों के भोजन को मिलाकर भोजन का काला किया और सभी के साथ ग्रहण किया। इस कथा के बाद गोकुलाष्टमी के दूसरे दिन दही को काला करके व दही हांडी तोड़ने का रिवाज हो गया। आजकल दहीकाला के अवसर पर तोड़फोड़, अश्लील नृत्य, महिलाओं के साथ छेड़खानी आदि कृत्य बड़े पैमाने पर होते हैं। इन दुराचारों के कारण पर्व की पवित्रता नष्ट हो जाती है और धर्म के लिए हानिकारक होता है। उपरोक्त दुराचारों को रोकने के प्रयास किए जाने से ही त्योहार की पवित्रता बनी रहेगी और त्योहार का वास्तविक लाभ सभी को होगा। ऐसा करने से समष्टि स्तर पर भगवान कृष्ण की उपासना होती है।
हिंदुओं की रक्षा के लिए धर्म संस्थापना के कार्य में भाग लेकर श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करें !
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय :. (अर्जुन, उठो, लड़ने के लिए तैयार हो जाओ!)
भगवान कृष्ण के उपरोक्त आदेश के अनुसार, अर्जुन ने धर्म की रक्षा की और वह भगवान कृष्ण को प्रिय हो गया ! हिंदुओं, देवताओं के व्यंग्य, धर्मांतरण, लव जिहाद, मंदिरों की चोरी, गोहत्या, मूर्ति-भंग के माध्यम से अपनी क्षमता के अनुसार धर्म पर होने वाले हमलों के विरुद्ध लड़ाई लड़ें!
भगवान श्रीकृष्ण धर्म की स्थापना के आराध्य देवता हैं। वर्तमान में धर्म की स्थापना के लिए कार्य करना ही सर्वोत्तम समष्टि साधना है। धर्म की स्थापना का अर्थ है समाज और राष्ट्र निर्माण को आदर्श बनाना। धर्मनिष्ठ हिन्दुओं, धर्म की स्थापना के लिए अर्थात् धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्य करो!

संदर्भ: सनातन संस्था का लघुग्रंथ ‘श्रीकृष्ण’

संपर्क हेतु
सनातन संस्था
श्री. गुरुराज प्रभु
93362 87971

Please share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!