पाली हाउस के बाहर शुरू हुई स्ट्रॉबेरी की खेती…

ऑर्गेनिक खेती के साथ आधुनिक खेती में नित्य नए हो रहे प्रयोग..
गाजीपुर/दुबिहां। करीमुद्दीनपुर पाली हाउस के संचालक पंकज राय ऑर्गेनिक खेती के साथ साथ आधुनिक खेती में नित्य नए प्रयोग भी करते हैं। पिछले वर्ष पाली हाउस में स्ट्राबेरी, केशर, और लाल, पीला तथा हरा शिमला मिर्च की साहसिक और सफल खेती के बाद इस वर्ष उन्होंने स्ट्राबेरी की खेती पाली हाउस के बाहर खेतों में की है। उन्होंने बताया कि जहां की जलवायु स्ट्रॉबेरी के अनुकूल है, वहां तो इसकी खेती बाहर भी हो सकती है। लेकिन पूर्वांचल में दो महीने काफी अधिक ठंड पड़ती है।जिसमें पौधों के झुलसने का डर बना रहता है। इस समय वे लोटनेल का प्रयोग कर सकते हैं।लोटनेल लोहे की सरिया को अर्धचंद्राकार कर दिया जाता है। उस पर फैब्रिक वोवेन के कपड़े से ढक दिया जाता है। इस प्रकार तैयार लोटनेल से रात में पौधे को ढक दिया जाता है। जिससे उस पर पाला न लगे। कहा कि पाली हाउस या नेटशेड हाउस लगाने में काफी खर्च आता है, जो साधारण किसान के बस की बात नही है। इस प्रकार स्ट्राबेरी जैसे खेती के बारे में वे सोच भी नही सकते। ऐसे में लोटनेल का प्रयोग करके स्ट्राबेरी केशर की खेती पाली हाउस के बाहर भी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि बाहर स्ट्राबेरी की खेती करने का प्रयोग अब तक सफल दिखाई दे रहा है। क्योंकि इसके पौधे की वृद्धि काफी अच्छी हो रही है। उन्होंने बताया कि स्ट्राबेरी की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। क्योंकि धीरे -धीरे इसकी मांग बढ़ रही है। वही सरकार भी इस खेती पर अनुदान दे रही है। पंकज राय ने बताया कि पाली हाउस के बाहर उन्होंने एक बीघे में स्ट्राबेरी की खेती की है। स्ट्राबेरी के ऐसे.पौधे लगाए गए हैं जो थोड़ा अधिक तापमान में होते है। एक बीघे की खेती में लगभग 76 हजार रुपये का खर्च हुआ है। प्रॉफिट लगभग तीन लाख रुपये का अनुमान है। बताया कि इसकी बुआई अक्टूबर माह में हो जाती है। इसके फल दिसंबर में तैयार हो जाते है।

लंदन की बाजार में बिक चुकी हैं गाजीपुर की सब्जियां..
दुबिहां। करीमुद्दीनपुर निवासी प्रगतिशील किसान पंकज राय को किसान दिवस पर सम्मान मिल चुका है। उन्होंने बताया कि किसान परमंपरागत खेती कर काफी पिछड़ गया है। वह हमेशा घाटे में जा रहा है। अब किसानों को हटकर खेती करनी होगी। जिससे लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो, यह तभी संभव होगा, जब वह अपनी खेती को बदलेगा। उन्होंने बताया कि हम आधुनिक युग में कुछ हटकर खेती शुरु किए हैं। जिसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो रही है। हमने खेती की शुरुआत एक हेक्टेयर पाली हाऊस में आर्गेनिक विधि से सब्जी उगाकर शुरु किया है। जिसमे लौकी, ,नेनुआ, भिंडी और खीरा जिसकी बाजारों में काफी माँग थी। खेत में ही यह सब्जियां अच्छे भाव में बिक जा रही थी। जब कृषि मंत्रालय की तरफ से बिदेशों में सब्जियों की माँग आई, तो हमने लंदन अपनी लौकी और खीरा भेजा था। यह वहाँ के बाजारों में बिक गई और पंसद भी की गई। किसान को अपनी सोच बदलकर खेती को बदल देने से किसान की हालत में सुधार हो सकता है और उसको सम्मान भी मिलेगा ।

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