सबको हैरान करने वाली कामयाबी, ग्यारह सरकारी नौकरी छोड़ आईपीएस बने…

आत्मविश्वास और आत्मबल की शक्ति से मंजिल तक पहुंचे और प्रेमसुख ने हताशा के दशानन को हराया..
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दिल्ली। ‘जो सोचते हैं अलग दुनिया से, जिनके अलग काम होते हैं। उन्हीं को मिलती है कामयाबी, उन्हीं के किस्से आम होते हैं। भरे होते हैं हौसले से चाहे कितना भी बुरा वक्त हो। उफ तक नहीं करते, चाहे हालत कितने भी सख्त हो..।’
आत्मविश्वास और आत्मबल की शक्ति से हर बाधा को पार की जा सकती है। मन चाही मंजिल पाई जा सकती है। लेकिन दोनों शक्तियां हासिल करने के लिए सबसे पहले अपने भीतर बैठे हताशा के दशानन को हराना होगा। दशानन इसलिए, क्योंकि हताशा दसियों तरह से हमें कमजोर करने और निराशा के सागर में डुबोने का काम करता है। आज दशहरा पर एक ऐसे ही युवा के संघर्ष की कहानी हम आपको बताएंगे। जिन्होंने छह साल के अंदर बारह सरकारी नौकरियां हासिल की और अंततः आईपीएस अफसर बने।
हम बात करेंगे राजस्थान के रहने वाले प्रेमसुख डेलू की। उन्होंने छह साल में कुल 12 सरकारी नौकरियां पाने में सफलता पाई है। राजस्थान के बीकानेर के रहने वाले प्रेमसुख डेलू किसान परिवार में पैदा हुए। स्नातक करने के बाद वह मेहनत और लगन के कारण वह सबसे पहले पटवारी (ग्राम सेवक) बने। कुछ दिन नौकरी की। इसके बाद वह रुके नहीं और आगे तैयारी जारी रखी। मेहनत रंग लाई और नौकरी मिलती गई। वह असिस्टेंट जेलर, सब-इंस्पेक्टर एवं कॉलेज में लेक्चरर तक बने। फिर भी उनका मन नहीं लगा। अंत में यूपीएससी एग्जाम पास किया और आईपीएस अफसर बन गए। जब प्रेम ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की, तो नौकरी के बाद जो समय बचता वह पढ़ाई में लगाते। पहली बार निराशा और दूसरे प्रयास में वर्ष 2015 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ऑल इंडिया में 170 वां रैंक प्राप्त किया और आईपीएस बने। उन्हें गुजरात कैडर मिला। उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के अमरेली में एसीपी के पद पर हुई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक प्रेमसुख डेलू ने दसवीं तक की पढ़ाई अपने गांव के सरकारी स्कूल में की। इसके बाद वह बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर इतिहास से एमए किया। वह गोल्ड मेडलिस्ट रहे। इसके साथ ही उन्होंने इतिहास में यूजीसी नेट और जेआरएफ की परीक्षा भी पास की। प्रेम के पिता किसान एवं ऊंट चलाने वाले व्यक्ति हैं। जबकि बड़ा भाई राजस्थान पुलिस में सिपाही हैं। बड़े भाई द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रेम को हमेशा प्रेरित किया जाता था। साल 2010 में स्नातक पूरा होने के बाद, उन्होंने पटवारी के लिए आवेदन किया और सफल हुए। इसके बाद एक-एक कर वह सरकारी नौकरियां हासिल करते गए।
प्रेम के बड़े भाई का कहना है कि बिना मेहनत से कोई भी मंजिल हासिल करना मुमकिन नहीं होता। कई बार लगातार कठिन परिश्रम के बाद भी कामयाबी हासिल नहीं होती इससे निराश होने की जरूरत नहीं है। हमे अपने मेहनत को और बढ़ाने की जरूरत होती है। अगर आपको पता है कि आपके प्रयास सही दिशा में हैं, तो आपको यह भी पता होगा कि प्रयासों में किस खास जगह कमी रह जा रही है या चूक हो रही है। विश्वास और उत्साह के साथ पुन: प्रयास करें। एक न एक दिन कामयाबी मिलेगी ही। इसी प्रेरणा और सूत्र के आधार पर प्रेम ने कामयाबी हासिल की है।
हमें उन युवा बेरोजगारों एवं छात्रों से अपील करनी है, जो अक्सर सोते-जागते बड़े सपने देखते हैं और फिर ख्वाबों में भटकते रहते हैं। हमेशा याद रखें, कोई भी सपना हकीकत तभी बन पाता है, जब उसके लिए अंदर से आत्मविश्वास और आत्मबल पैदा किया जाता है। उसे हासिल करने के लिए परिश्रम जरूरी है। देश और दुनिया के सभी सफल और महान व्यक्तियों ने कहा है कि सपने जरूर देखें, लेकिन ऐसा करते हुए यह भी ध्यान रखें कि वह आपकी सक्षमता और योग्यता से जुड़ा हुआ हो। सपने देखने के बाद उसके लिए जो अपेक्षित योग्यताएं हैं, उनसे खुद को लैस करने का उपक्रम करें। ऐसा आप धीरे- धीरे कर सकते हैं।
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इन बातों पर जरूर ध्यान दें..
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0- किसी के दबाव में आने या दूसरों की सुनने मानने की बजाय अपने मन की सुने। अपनी इच्छा अनुसार अपने पसंद के अनुसार लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने का प्रयास करें।
2- पराजय या असफलता से घबराकर अपने प्रयासों में कमी ना आने दें। अपने अंदर की कमजोरियों को दूर कर आगे फिर एकाग्र होकर प्रयास जारी रखें।
0-‘ना’ शब्द को खुद से दूर रखें। अपने आत्मविश्वास को कभी भी कम न होने दें। क्योंकि आत्मविश्वास और मन की ताकत से आप कठिन से कठिन लक्ष्य भी हासिल कर सकते हैं।
0-उत्साह को अपनी आदत में शामिल करें। इससे कोई भी हार आपको निराश नहीं कर सकेगी। उत्साहित होने की वजह से आप आगे बढ़ते रहेंगे।
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