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पूर्वांचल के कई जनपदों से पहुंचे कार्यकर्ता और नेता
मऊ। सपा और सुभासपा के एक होने से इसका असर पूर्वांचल की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है। ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है। अगर समय रहते भाजपा और बसपा ने अपने चुनावी समीकरण ठीक करने के साथ मतदाताओं को अपनी तरफ मोड़ने में कामयाब नहीं रहे तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दोनों दलों के गठबंधन का शोर पूरे प्रदेश में सुनाई दे रही है। मऊ में जुटी कार्यकर्ताओं की भीड़ ने अन्य दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
कार्यक्रम में मऊ के साथ ही आस-पास के कई जनपदों से हजारों सपा और सुभासपा के कार्यकर्ता और नेता पहुंचे थे। गाजीपुर जनपद समेत कई जिलों से भासपा कार्यकर्ताओं को लाने के लिए बसें भी लगाई गई थीं। स्थापना दिवस की तैयारी तीन दिन पहले से चल रही थी, जिसे एक दिन पहले ही पूरा कर लिया गया था। इस मौके पर उपस्थित जनसमूह को मंच से पदाधिकारियों ने संबोधित किया। नेतागणों ने महापंचायत के बारे में जनता को बताया और आगामी विस चुनाव में कमर कसकर तैयारी में जुटने की अपील की।
कार्यक्रम में पहुंचने से पहले ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बुधवार को ट्वीट किया और लिखा था कि- गरीबों, दलितों, शोषितों, वंचितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, मज़दूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं, शिक्षकों, कारोबारियों, नौकरीपेशा व पेशेवरों के अधिकारों की रक्षा के लिए झूठी और फ़रेबी सत्ता दल के ख़िलाफ़ ‘मऊ का हलधरपुर मैदान एक राजनीतिक महायुद्ध का कुरुक्षेत्र साबित होगा’। आयोजन को सफल बनाने के बाद कार्यकर्ताओं का उत्साह सातवें आसमान पर नजर आया। मंगलवार को पूरे दिन तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया, तो बुधवार सुबह से ही कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का जमावड़ा शुरू रहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के होने से सपाइयों ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। यहां से आगामी विधानसभा चुनाव में नए गठजोड़ के पैगाम देने की तैयारी चल रही है। आयोजन स्थल पर स्वयं सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर छोटी-बड़ी हर समस्या के निराकरण के लिए कार्यकर्ताओं को लगातार उत्साहित कर रहे हैं। बुधवार को खास बात यह रही कि बिना खाए पीए कार्यकर्ता दोपहर बाद तक मैदान में डटे रहे और अपने नेताओं के हौसले को दोगुना किया।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि सपा और सुभासपा के मतदाताओं की संख्या अगर एक हुई तो निश्चित रूप से उम्मीदवार की विजय तय मानी जा सकती है। लेकिन अगर इनमें सेंधमारी हुई, तो रिजल्ट इसके उलट भी हो सकता है। चुनाव से पहले भाजपा और बसपा सियासी गोटी बिछाने में क्या नया फार्मूला अपनाते हैं यह तो समय बताएगा ?
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