*”ग्रीटिंग कार्ड” के जरिए शुभकामनाएं देने का अंदाज बदला..*

*..अब इतिहास बनता जा रहा ग्रीटिंग कार्ड*
बलिया। “ग्रीटिंग कार्ड” के जरिए शुभकामनाएं देने का खूबसूरत चलन और कार्ड के जरिए लोगों तक अपने मन की बात पहुंचाना बीते दिनों की बात हो गई है। आधुनिक व डिजिटल युग में “ग्रीटिंग कार्ड” का चलन धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है। या यूं कहें कि “ग्रीटिंग कार्ड” का सुनहरा काल खत्म होने को है और आने वाले समय में यह इतिहास बनकर रह जाएगा।
बुजुर्ग बताते हैं कि एक दशक पहले तक नए साल की तैयारी एक माह पहले शुरू हो जाती। लोग एक-दूसरे को “ग्रीटिंग कार्ड” देकर नए साल की शुभकामनाएं देते थे। जिसमें सभी संस्थाएं, युवा वर्ग से लेकर बुजुर्गों तक में ग्रीटिंग कार्ड के जरिए शुभकामनाएं भेजी जाती थी। यहां तक कि सरकारी अफसर एवं कर्मचारी भी एक- दूसरे को कार्ड भेजते थे। जिसे लेकर बाजारों में अलग-अलग तरीके के कार्ड देखे जाते थे, लेकिन आज ग्रीटिंग कार्ड का चलन समाप्त हो रहा है। पहले जिस दुकान पर ग्रीटिंग कार्ड सजाकर रखा जाता था, आज उसी दुकान पर जाकर “ग्रीटिंग कार्ड” मांगना पड़ रहा है।
आधुनिक दौर में सोशल मीडिया ने लोगों को सुख सुविधाएं प्रदान की है। आज की युवा पीढ़ी ने अपने रिश्तेदारों, प्रियजनों और दोस्तों को न्यू ईयर की शुभकामनाएं भेजने के लिए अपना नया जरिया इंटरनेट के माध्यमों को बना लिया है। जिसमें कई तरह के साेशल साइटाें द्वारा संदेश भेजते हैं। युवा पीढ़ी का कहना है कि इससे हमारा प्यार भरा संदेश भी हमारे अपनों तक पहुंच जाता है और इससे समय बचता है। साथ ही बिना मेहनत और चार्ज के बड़ी ही खूबसूरत तरीके से शुभ संदेश दिया जाता है। पहले जहां लोग न्यू ईयर पर एक-दूसरे के घर जाकर “ग्रीटिंग कार्ड” देकर शुभकामनाएं देते थे। वहीं अब इंटरनेट और सोशल मीडिया के दौर में “ग्रीटिंग कार्ड” का क्रेज लगभग खत्म हो गया है। नए साल पर बाजारों की शान बढ़ाने वाले “ग्रीटिंग कार्ड” अब सिर्फ कुछ दुकानों के लिए शो-पीस बनकर रह गए हैं।
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*शुभकामनाएं देने का अंदाज बदला*

**अब कोई भी त्योहार हो, सभी पर्व पर शुभकामना संदेश वाट्सअप, इंस्ट्राग्राम, ट्विटर के माध्यम से आसानी से भेजी जा रही हैं। इसके साथ ही नए-नए स्टिकर और संदेश को देखकर सामने वाला भी खुश होता है। ऐसे में पहले जो “ग्रीटिंग कार्ड” खरीदने में पैसे लगते थे वह पैसे भी अब खर्च नहीं करने पड़ते और आसानी से संदेश लोगों तक पहुंच रहा है।
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*अब नहीं करना पड़ता इंतजार*

**युवाओं का कहना है कि पहले अपनी शुभकामनाएं व संदेश पहुंचाने में वक्त लगता था, लेकिन अब मोबाइल और इंटरनेट से कुछ सेकेंड में ही हमारा संदेश पहुंच जाता है। बड़े खर्चे के साथ समय की भी बचत हो होती है। पहले “ग्रीटिंग कॉर्ड” देने के लिए दोस्तों के घर जाना पड़ता था और अब घर बैठे ही सोशल मीडिया की सहायता से संदेश भेजे जा सकते हैं। साथ ही किसी का इंतजार भी नहीं करना पड़ता हैं।
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*केवल बच्चे खरीदते हैं ‘ग्रीटिंग कार्ड’, घाटे में कारोबार*

बलिया। अप ‘ग्रीटिंग कार्ड’ का चलन धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है, केवल छोटे बच्चे ही कभी-कभी ‘कार्ड’ खरीदने आते हैं। चित्तू पांडेय चौराहा स्थित कोहिनूर गिफ्ट कार्नर के दुकानदार ने बताया कि पिछले चार-पांच साल पहले तक लोगों में ग्रीटिंग का खास क्रेज होता था, लेकिन जब से मोबाइल और इंटरनेट का जादू चला है, तब से ग्रीटिंग की डिमांड हर साल घटती जा रही है। इस बार *ग्रीटिंग कार्ड” कारोबार अभी से ही फीकी सी नजर आ रहा है। न्यू ईयर के लिए छोटे बच्चे ही “ग्रीटिंग कार्ड” खरीद रहे हैं।
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*फॉरवर्डेड शुभकामनाएं भेजने का बढ़ा चलन*

बलिया। इस दौर में जानकारों की मानें तो सोशल मीडिया से फॉरवर्डेड शुभकामनाएं भेजने का चलन बढ़ा है। अच्छा मैसेज कहीं से आया, उसे किसी दूसरे को भेज दिया। इसमें फीलिंग्स नहीं हैं, सिर्फ खानापूर्ति के लिए शुभकामनाएं भेजी जा रही हैं। जबकि ग्रीटिंग्स कार्ड के दौर में लोग अपने हाथों से भी कुछ मैसेज और कोई यादें साझा करते थे। जिसे ग्रीटिंग्स भेजा जाता था, उसके प्रति कई तरह की फीलिंग्स होती थी। ग्रीटिंग्स प्राप्त करने वाला भी संदेश पढ़कर भेजने वाले की भावनाओं को समझता था। इससे आपसी प्रेम बढ़ने के साथ संबंध मजबूत होते थे। अब ऐसा नहीं है।

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