अमांव- दुलारपुर मार्ग पर एकौनी गांव में सड़क पर लगा चार फीट पानी..
गाजीपुर में 10,000 और बलिया में 5000 एकड़ में नहीं होगी रबी की बुआई..
बलिया/गाजीपुर। बाढ़ का पानी नदियों में अब तेजी से उतर रहा है और मानसून ने भी अलविदा कह दिया है। बावजूद पूरा करईल इलाका आज भी बाढ़ व बारिश के पानी से कराह रहा है। कई सड़कों पर तीन से चार फीट पानी जमा है, तो हजारों एकड़ खेत पानी से जलमग्न हैं। किसानों सुबक रहे हैं। लेकिन इनका दर्द सुनने और जानने वाला कोई नहीं है।
मौसम परिवर्तन का खेल अब भी जारी है। किसान परेशान हैं। गढ़हांचल के करईल में आज भी बाढ़ और बारिश के पानी से लोग जूझ रहे हैं। सड़क और खेतों में जमा पानी किसानों के लिए मुसीबत बना हुआ है। यह दर्द महसूस करने वाला कोई नहीं है। शासन, प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि करईल (गढ़हांचल) क्षेत्र के किसानों की समस्या को लेकर उदासीन हैं।
बलिया और गाजीपुर के सीमावर्ती इलाका , जो करईल क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। हर साल हजारों एकड़ फसल बाढ़ और बारिश से डूब जाती है। इसमें बलिया का निचला इलाका गड़हांचल (करईल) भी शामिल है। वर्तमान में भी बाढ़ व बारिश के पानी की यह मार झेल रहा है। किसानों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर यह पानी अचानक आया कहां से ? कई सड़कों पर बाढ़ व बारिश का पानी बह रहा है।अमांव- दुलारपुर मार्ग पर एकौनी गांव में सड़क पर चार फीट पानी लगा है। जिसके कारण इस सड़क पर आवागमन बंद हो गया है। आज किसान विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन किसानों का कोई सुधि लेने वाला नहीं है। गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर, भांवरकोल, सिआड़ी, गोड़उर, जोगा, मसोन, कनुआन और कोटवा नारायणपुर तक का इलाका प्रभावित है। गाजीपुर के करीब 10000 एकड़ खेत में रबी की बुवाई इस बार नहीं हो पाएगी। इससे हजारों किसान प्रभावित होंगे। इसी प्रकार बलिया के सरायकोटा, दुलारपुर, मेडवरा, इब्राहिमपुर, बघौना, अमाव, रामगढ़ से लेकर कथरियां गांव के सीवान में बड़े पैमाने पर धान एवं मसूर की खेती होती है। पहले बाढ़ की वजह से धान की फसल बर्बाद हो गई। अब रबी की खेती भी बुरी तरह प्रभावित है।
पंद्रह अक्टूबर से रबी की बुवाई शुरू हो जाती है, लेकिन खेतों में चार से पांच फीट पानी अभी भी लगा हुआ है। इलाके में पांच हजार एकड़ खेत किसान नहीं बो पाएंगे। किसानों की मसूर की खेती इस बार तो नहीं होगी। भाजपा नेता बंशनारायण राय ने बताया कि कोटवा नारायणपुर, रामगढ़, नसीरपुर, टुटुवारी, दुलारपुर, बघौना, मेड़वरा, पुन्नी पुर, चुरैली रामापुर, विशेश्वर पुर, इब्राहिमपुर, एकौनी आदि गांवों के किसानों का बाढ़ के पानी से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है और इन किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए। रामगढ़ गांव निवासी किसान अशोक राय,देवनाथ यादव, श्याम जी यादव, चन्द्रमा यादव, शिवशंकर, रामकृष्ण राय,विनय राय ने बताया कि बाढ़ के समय से ही इलाके के किसान परेशान हैं बाढ़ के पानी से धान की फसल बर्बाद हो गई और अब दलहनी फसलों की खेती भी नहीं हो पाएगी। कारण की खेतों में चार से पांच फीट पानी लगा हुआ है।आलम यह है कि अभी भी सड़कों पर चार जगह पानी बह रहा है। किसानों ने बताया कि पहले यह पानी ताल से होते हुए मगई नदी में चला जाता था लेकिन इधर एक दशक से यह पानी का निकास बंद हो गया है।खेतों में जो पानी लगा हुआ है वह खेत में ही सूखेगा ऐसे में यह संभावना लगाया जा रहा है कि पानी सूखने में महिनों लग जाएंगे। जिसके कारण दलहनी फसलों में मसूर, चना,मटर, खेती नहीं हो पाएगी। किसानों का मानना है कि गेहूं की खेती भी नहीं हो पाएगी। ऐसे में किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होना तय है।