प्ली बारगेनिंग के तहत गुनाहगार कबूलेंगे अपना गुनाह, कम होगी सजा..

गाजीपुर। जिला कारागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव कामायनी दूबे द्वारा ‘‘Plea Bargaining.”  विषय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन एवं जेल का निरीक्षण किया गया। शिविर में बंदियों को बताया गया कि सीआरपीसी में एक नया अध्याय 21ए जोड़ा गया था। जिसमें धारा 265ए से 265एल को नये रूप से जोड़ा गया। इसके तहत प्ली बारगेनिंग का विवरण दिया गया। “प्ली बारगेनिंग एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है” इस प्रक्रिया के तहत आरोपी अपने अपराध को मर्जी से स्वीकार करता है। दोनों पक्षों के बीच होने वाला समझौता अदालत की देख-रेख में होता है। समझौता के बाद मजिस्ट्रेट के सामने आरोपी अपने गुनाह कबूल करता है। आरोपी की सजा उस केस की न्यूनतम सजा से आधी या उससे भी कम कर दी जाती है। बंदियों से उनकी जेल अपील तथा अन्य समस्याएं पूछी गई एवं उनके यथोचित अधिकार के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया। बंदियों को उनके संवैधानिक अधिकारों के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। जेल अधीक्षक द्वारा बताया गया कि वर्तमान में कुल 989 बंदी निरूद्ध है। जिसमें 886 पुरूष, 36 महिला बंदियों के साथ कुल एक बच्चे निरूद्ध है। इसमें 67 अल्पवयस्क है। सुबह का नाश्ता-दलिया, चाय, दोपहर को भोजन-रोटी, चावल, उर्द, राजमा की दाल सब्जी (आलू, बैगन), शाम का भोजन-रोटी, चावल, अरहर दाल, सब्जी (आलू, लौकी)। सचिव महोदया ने कोविड-19 को देखते हुए नए बंदियों को पहले आइसोलेट रखने के साथ ही संदिग्ध लक्षण होने पर जांच और सेनेटाइजेशन के निर्देश दिए। सचिव ने जेल के कई बंदियों से बात कर उनकी समस्याओं को समझने के साथ ही उनके निस्तारण का निर्देश दिया। सचिव ने कारापाल को जिला कारागार में स्थित जेल लीगल क्लीनिक पर विशेष रूप से ध्यान देने के निर्देश दिए ताकि जेल में निरूद्ध बंदियों को समय से एवं समुचित विधिक सहायता प्राप्त हो सके। इस अवसर जिला कारागार उप अधीक्षक, जेल विजिटर घनश्याम लाल श्रीवास्तव व विधिक प्रकोष्ठ अधिवक्ता श्रीमति खुर्शीदा बानों एवं पराविधिक स्वयं सेवक (पी0एल0वी0) उपस्थित रहे।
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सात साल से कम सजा वालों को मिलेगी बड़ी राहत..
गाजीपुर। सात साल से से कम सजा के मामले में जेल में बंद विचाराधीन कैदियों को राहत पहुंचाने के लिए प्ली बार्गेनिंग न्यायिक प्रक्रिया लागू की गई है। इस प्रक्रिया में दोषी अपनी सजा को स्वीकार कर एवं पीड़ित को क्षतिपूर्ति देकर कठोर सजा से बच सकता है। इस प्रक्रिया से जेल में बंद विचाराधीन कैदियों को स्वतंत्रता प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा।

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