किसानों का दर्द जुबाँ पर छलका…

गाजीपुर। दोहरी मार के शिकार किसानों का दर्द अचानक जुबाँ पर छलकने लगा। कोरोना महामारी से टूट चुके किसान अब बाढ़ से बर्बांद हो चुके हैं। इनका कहना है कि ऐसी स्थिति बन गई है कि अब न बच्चों को पढ़ा पाएंगे, न बेटी का ब्याह रचा पाएंगे और न कर्ज चुका पाएंगे। बाढ़ एवं बारिश के कारण किसानों के सपने चकनाचूर हो चुके हैं। स्कूल खुल गए हैं, लेकिन डूब क्षेत्र में रहने वाले किसानों के घर सन्नाटा पसरा हुआ है।

रेवतीपुर के किसान नवनीत ने बताया कि इस साल हम दस बीघा से अधिक केले की खेती किए हैं, लेकिन अस्सी फीसदी हमारी फसल खेत में पानी लगने की वजह से डूब गई है। करीब आठ बीघा तक केला पानी की वजह से सड़ कर बर्बाद हो गया। इसी क्रम में किसान सिद्धार्थ राय ने बताया कि केले की खेती हम लोग हर साल करते हैं और हर बार बाढ़ के पानी से हमे नुकसान का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस बार हम ज्यादा नुकसान में हैं। १५ बीघा केले की खेती किए थे, लेकिन पांच बीघा से अधिक केला पानी में सड़ कर गिर गया है। रेवतीपुर निवासी बिपिन का कहना है कि इस साल केले की खेती २२ बीघा में किए हैं। जिसमें करीब आठ बीघा केला खेत में ही सड़ कर गिर गया है। व्यापारी गिरे हुए फसल को नहीं ले रहे हैं। इससे फसल खेत में ही सड़ जा रही है। उधर किसान ज्ञानेंद्र राय छोटू ने ने बताया कि इस साल हमने २२ बीघा केले की खेती किया है। जिसमें लगभग नौ बीघा खेत पानी की वजह से नष्ट हो गया है। केले के पौधे सड़ गए हैं। व्यापारी इसे लेने में काफी आनाकानी कर रहे हैं। इस बार खेत का दाम भी नहीं निकल पा रहा है।

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