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मिट्टी का दीया, गुड़ से बनी जिलेबी की खूब हुई खरीदारी..
जौनपुर (करंजाकला)। दीपावली पर्व पर करंजाकला ब्लॉक के गिरधरपुर गांव में लगा ऐतिहासिक भेलहिया मेला को देखने के लिए दूर -दूर से लोगों का आना जाना शुरू हो गया है। मेले में प्रदेश के कई शहरों से लोग आते हैं।
दीपावली के पर्व पर लगे ऐतिहासिक भेलहिया मेले की मान्यता है कि यहां आकर दर्शन और तालाब में स्नान कर भेला का रस पीने से शरीर की सारी बीमारी से मुक्ति मिलती है। बीमारियों से छुटकारा मिलती है। इसी प्रचलन में हर वर्ष दीपावली के पर्व पर यहां ऐतिहासिक मेला तीन दिन लगता है और जमकर लोग मेले का लुफ्त उठाते हैं।गिरधरपुर गांव से सटे अन्य गांव के लोग यहां दुकान लगाने के लिए एक दिन पहले से ही आकर रुक जाते हैं और तीन दिन तक लगातार यह मेला चलता है। मेले में छोटी- बड़ी मिलाकर सैकड़ों दुकानें लगती हैं। मेले में हजारों लोग आते हैं और राउर बाबा व भुनगा माता का दर्शन कर बेहतर स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
पिछले वर्ष कोरोना महामारी के चलते मेले का आयोजन नहीं हो सका था, लेकिन इस बार मेले का का आयोजन खूब जोर-शोर से किया जा रहा है। मेले में कड़ी सुरक्षा के लिए सुरक्षा बल भी तैनात हैं। मेले का आयोजन पुलिस प्रशासन की निगरानी में किया जा रहा है।
मेले में बन रहे गुड़ की जलेबी ने मेले में आए लोगों को खूब लुभा रही है। कोई आधा किलो तो कोई एक किलो जलेबी की खरीदारी कर रहा है। मेले में लकड़ी से बने सामान, रंग -बिरंगे खिलौने और गुब्बारों का भरमार लगा है। यह मेला 500 मीटर के दायरे में लगा है। यह मेला एक प्रसिद्ध मेला है, जिसे देखने दूरदराज से लोग आते हैं और यहां पर आकर भेला का रस पीकर अपने आप को रोग मुक्त करते हैं।
दीपावली के पर्व पर आयोजित इस मेले में मिट्टी के बने दिए की खरीदारी खूब जमकर हो रही है। दुकानदारों ने बताया कि इस वर्ष कई वर्षों पहले जैसी बिक्री का आभास करा रही है। पिछले दो-तीन वर्षों से दीया की बिक्री बिल्कुल कम थी। लेकिन इस बार दिया की बिक्री भी खूब जमकर हुई है।
गिरधरपुर में लगा ऐतिहासिक मेला में खिलौने, कपड़े, मिठाई, चाट, समोसे का भरमार लगा है। बच्चे, जवान, बूढ़े सब मिलकर खूब आनंद उठा रहे हैं। मेले में मुंह से बजने वाली सिटी और लोगों के आने -जाने से पूरे ग्राम सभा में चहल-पहल का माहौल है।
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