देवघर। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ बाबा वैद्यनाथ धाम की हर बात निराली है। बात चाहे प्रात:कालीन कांचा जल पूजा या फिर प्रात:कालीन सरकारी पूजा की हो अथवा संध्याकालीन श्रृंगार पूजा की हो। हर कुछ निराला होता है। जिस प्रकार कांचा जल पूजा का अपना महत्व है। उसी प्रकार संध्याकालीन श्रृंगार पूजा का भी अपना अलग महत्व है।

हर दिन संध्या बेला में होने वाली श्रृंगार पूजा की सबसे बड़ी विशेषता है कि बाबा वैद्यनाथ के श्रृंगार के उपरांत जो पुष्प मुकुट उन्हें अर्पण किया जाता है, उसे देवघर मंडल कारागार में विभिन्न अपराधों में बंद कैदी हर दिन तैयार करते हैं। शातिर अपराधी हो या सामान्य आरोप में गिरफ्तार बंदी सभी मंडल जेल में श्रृंगार मुकुट बड़ी ही श्रद्धा- भावना के साथ हर दिन तैयार करते हैं। इसके लिए मंडल कारागार के कर्मियों की एक टोली हर दिन फूल भी लाती है। उसे मंदिर में रखा जाता है, जहां अपराह्न बेला के बाद से ही बाबा वैद्यनाथ को अर्पण किए जाने वाले शृंगार पुष्प मुकुट अर्पण करने के लिए तैयार करना शुरू कर दिया जाता है। पुष्प मुकुट तैयार होने के बाद उसे मंडल कारा के कर्मी पूरी श्रद्धा के साथ अपने कांधे पर लेकर पैदल खाली पांव बम भोले का जयकारा लगाते हुए बाबा वैद्यनाथ मंदिर गर्भगृह तक लेकर पहुंचते हैं। प्रतिदिन होने वाली संध्याकालीन श्रृंगार पूजा के उपरांत अंत में शिवलिंग को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। श्रृंगार पूजा में देवघर मंडल कारा के बंदी/कैदियों के हाथों से बने नाग पुष्प मुकुट बाबा वैद्यनाथ को अर्पित किया जाता है, जो पूरी रात शिवलिंग पर रखा रहता है और दूसरे दिन प्रात:कालीन कांचा जल पूजा के पूर्व हटाया जाता है।
कृष्ण कुमार कर्मयोगी