नि : शुल्क बोरिंग के नाम पर लाखों का किया गया था भुगतान
बलिया। जनपद में नि: शुल्क बोरिंग के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान किया गया था। इस प्रकरण की जांच के बाद प्रथमदृष्टया दोषी पाए गए तीन समाज कल्याण अधिकारियों के अलावा एक सहायक अभियंता और पांच कर्मचारियों के साथ ही दो संस्थाओं पर केस दर्ज किया गया है।
मौजूदा समाज कल्याण अधिकारी विनोद कुमार सिंह की तहरीर पर पुलिस ने यह कार्रवाई की है। साल 2018-19 में केंद्र सरकार की स्पेशल कम्पोनेंट प्लान के तहत नि :शुल्क बोरिंग योजना में कुल 19.50 लाख रुपये आवंटित हुए थे। उस समय तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी तिलकधारी, सहायक लेखाकार संजय राय, पटल सहायक अवधेश कुमार ने पैसे का उपभोग प्रमाण पत्र भी दे दिया।
कार्यदायी संस्था ने केवल 82 बोरिंग किए, लेकिन कागज़ों पर 165 किसानों के यहां बोरिंग होना दिखाया गया। इसी प्रकार 2019-20 में भी 18.50 लाख रुपये मिले। इस बार कार्यदाई संस्था एकीकृत जनजाति सहकारी विकास संघ लिमिटेड को 100 किसानों के लिए 10 लाख तथा सहायक अभियंता लघु सिचाई को 8.50 लाख रुपये बगैर कार्य के ही भुगतान कर दिया गया।
उस समय तत्कालीन प्रभारी जिला समाज कल्याण अधिकारी विजय शंकर पटल सहायक अवधेश कुमार संस्था ने 85 बोरिंग का उपयोग प्रमाण पत्र दिया। जबकि जांच में केवल 67 बोरिंग ही मिले। इसके बाद शिकायत मिलने पर पुलिस ने तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी तिलकधारी, विजय शंकर, अभय सिंह, लेखाकार इरशाद अहमद, प्रिंस गुप्त के साथ सहायक अभियंता लघु सिंचाई विभाग, एकीकृत जनजाति विकास मंच संघ लिमिटेड लखनऊ, ग्रामोद्योग संस्थान नबाबगंज गोंडा के खिलाफ 409 का मुकदमा दर्ज किया गया।
बता दें कि पहले फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अभय सिंह को सस्पेंड कर दिया गया। तिलकधारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। जिला समाय कल्याण विभाग की ओर से हर वित्तीय वर्ष में एससी, एसटी श्रेणी के किसानों के यहां नि: शुल्क बोरिंग का लक्ष्य आता है। विभाग के अधिकारी आपसी साठगांठ से इसी राशि का बंदरबाट करते हैं।