पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था, मानवीय करुणा और बाजार साथ-साथ नहीं चल सकते
प्रधानमंत्री व्याख्यान श्रृंखला के तहत ‘द लाइफ एंड लीगैसी आफ चंद्रशेखर’ विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में बोले उपसभापति
दिल्ली/बलिया। पूर्व प्रधानमंत्री ‘चंद्रशेखर’ अत्यंत व्यावहारिक और अपने दायित्व और काम को बहुत साफ तरीके से करने और समझने वाले व्यक्ति थे। वह करीब साढ़े सात महीने प्रधानमंत्री रहे। पर, उन्होंने बड़ी दृढ़ता के साथ सरकार चलाई। उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया। देश के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्रियों में से एक के अनुभव व काम से वंचित रह गए। चंद्रशेखर अकेले राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने नई अर्थनीति का 1991 में पुरजोर विरोध किया था। उस समय संसद में कहा कि मानवीय करुणा और बाजार साथ-साथ नहीं चल सकते। यह बातें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने बीते शुक्रवार (01 दिसंबर 2023) को कही। वह प्रधानमंत्री संग्रहालय द्वारा प्रधानमंत्री व्याख्यान श्रृंखला के तहत ‘द लाइफ एंड लीगैसी आफ चंद्रशेखर’ (चंद्रशेखरः जीवन, परंपरा (विरासत)) विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री संग्रहालय (नई दिल्ली) के पुस्तकालय भवन में आयोजित इस व्याख्यान में हरिवंश ने विस्तार से देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के व्यक्तित्व, कृतित्व, नेतृत्व क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने चंद्रशेखर के सार्वजनिक जीवनकाल को चार खंडों में बांटकर, अनेक संदर्भों और उद्धरणों से अपनी बातें रखीं।
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प्रधानमंत्री व्याख्यान श्रृंखला में ‘द लाइफ एंड लीगैसी आफ चंद्रशेखर’ पर उपसभापति ने दिया व्याख्यान
हरिवंश ने चंद्रशेखर से हुई पहली मुलाकात, फिर उनके साथ काम करने के अनुभव को साझा किया। कहा कि वह असाधारण व्यक्ति थे। चंद्रशेखर का राजनीतिक जीवन (1942-2007) लगभग 65 वर्षों का रहा। 15 वर्षों (1962-1977) तक राज्यसभा सदस्य रहे। 1977 से 2007 के बीच लगातार आठ (8) बार बलिया से लोकसभा सांसद रहे। एक बार (1984 से 1989) चुनाव हारे। इस तरह 40 वर्षों तक, वह भारतीय संसद के सदस्य रहे। इन 40 वर्षों में, लगभग तीन वर्ष, केंद्र में सत्तारूढ़ पहली गैर कांग्रेसी सरकार वाली, जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रहे। लगभग चार माह (10 नवंबर, 1990 से 06 मार्च, 1991) देश के प्रधानमंत्री रहे। लगभग साढ़े तीन माह (06 मार्च से 21 जून, 1991) केयरटेकर प्रधानमंत्री। इस तरह 65 वर्ष के राजनीतिक जीवन में, सत्ता में वह महज साढ़े सात माह रहे। लगभग तीन वर्ष जनता पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल हटा दें, तो लगभग 37 वर्ष सांसद ही रहे। 65 वर्षों के राजनीतिक जीवन काल से ये कुछ वर्ष हटा दें, वह 62 वर्ष बाहर ही रहे। इनमें से 10 वर्ष (1965-75) वह कांग्रेस में रहे, इसे हटा दें, तो लगभग 52 वर्षों तक विपक्ष की राजनीति की।