बलिया । रेलवे क्रासिग पर अक्सर टूट जाने वाले बूम के चलते अब सिग्नल फेल नहीं होगा और न ही सिग्नल पर बेवजह ट्रेनें ठहरेंगी। रेलवे अब सभी इंटरलॉक सिग्नल पर स्लाइडिग बूम लगा रहा है। वाराणसी-छपरा रेलवे ट्रैक पर 53 रेलवे क्रासिगों पर कार्य पूरा हो चुका है, 14 पर स्लाइडिग बूम लगाने की कवायद तेज कर दी गई है। दोनों तरफ लगने वाले जाम की समस्या भी दूर हो जाएगी और ट्रैफिक प्रभावित नहीं होगा। एनई रेलवे के लगभग 90 फीसदी क्रॉसिग नॉन इंटरलॉक से कनेक्ट हैं। इससे क्रॉसिग पर फाटक लगा होने पर ही ट्रेन को ग्रीन सिग्नल मिल पाता है। अक्सर ऐसा होता है कि गेट पर लगा बूम (फाटक) किन्हीं कारणों से टूट जाता है और सिग्नल बंद हो जाता है। नतीजतन, ट्रेन क्रॉसिग के आसपास खड़ी हो जाती है। रेल के साथ ही सड़क यातायात भी प्रभावित होता है। हर क्रॉसिग पर स्लाइडिग बूम लगने से यह सिग्नल फेल नहीं होने देगा। ट्रेनों का संचलन भी सुगमता से जारी रहेगा।
फाटक के साथ कनेक्ट रहता है सिग्नल ट्रेनों के सुरक्षित संचलन के लिए फाटक से सिग्नल कनेक्ट रहता है। अगर फाटक खुला है तो रेड सिग्नल रहेगा। मसलन, अगर गलती से गेटमैन ने फाटक बंद नहीं किया और ट्रेन आने वाली है तो फाटक के पास लगा सिग्नल रेड रहेगा, जिससे ट्रेन वहीं खड़ी हो जाएगी। फाटक बंद होने पर ही ग्रीन सिग्नल मिलता है।
- छपरा-वाराणसी रूट पर ट्रेनों के बेहतर संचालन के लिए सभी रेलवे क्रॉसिग पर स्लाइडिग बूम लगाया जा रहा है। किन्हीं कारण वश रेलवे फाटक टूट जाने पर गेटमैन तत्काल स्लाइडिग बूम बंद कर ट्रेन का संचालन करेंगे।
— अशोक कुमार, जनसंपर्क अधिकारी, रेलवे वाराणसी