पूर्व सांसद मरहुम जैनुल बशर गाजीपुर के प्रथम मुस्लिम सांसद थे – नईम प्रधान*

गाजीपुर। जनपद कैम्प कार्यालय रजदेपुर में पूर्व सांसद मरहूम जैनुल बशर की 12वीं बरसीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। जिसमें प्रदेश उपाध्यक्ष अल्पसंख्यक कांग्रेस कमेटी के नईम प्रधान ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब दुसरा जैनुल बशर अब नहीं पैदा होगा। जनवरी 1938 को देवकली ब्लाक के मऊपारा गांव में पैदा हुए और उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव में प्राप्त किया।
बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में एमए किया जैनुल बशर गाजीपुर के दो बार सांसद बने और बहुत बड़े अंतर से चुनाव जीता। सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से मिलते थे। अपने सांसदीय क्षेत्र में गाजीपुर में विकास कार्य किया रोडवेज स्टैंड, गंगा पुल, दिलदारनगर बहादुरगंज, जहुराबाद, कासिमाबाद, कामसार, बारा गहमर क्षेत्र के नौजवानों को फोर्स में भर्ती कराया और अपने रुपया से उन्हें ट्रेनिंग सेंटर पर भेजा। जैनुल बशर एक ऐसे अकेले सांसद थे, जिनके दिल्ली आवास पर कोई भी गाजीपुर या पूर्वांचल का आदमी पहुंच जाए उसे दो वक्त की रोटी और चाय जरूर कराते थे। यह कोई सांसद नहीं किया। बशर जी ने पुरे ज़िन्दगी सांसद की पेंशन को गरीबों, मजलूमों, विधवाओं को दान किया। वह गाजीपुर के कार्यकर्ताओं की शान थे। उनके दौर में जब मऊ जिला बना और बहादुरगंज, मरदह ब्लाक को मऊ जिला में जोड़ने की बात आई तो जैनुल बशर ने संसद में आवाज उठाई और मरदह और बहादुरगंज क्षेत्रों को गाजीपुर से अलग नहीं होने दिया। सभी का सम्मान करते थे। किसी पदाधिकारी और कार्यकर्ता की बुराई कभी नहीं कि आज हमें उनके बताए मार्ग पर चलकर गाजीपुर एवं पूर्वांचल में कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने की जरूरत है। नईम प्रधान ने पुण्यतिथि के मौके पर विकलांग व्यक्तियों और महिलाओं को कम्बल वितरित किया। वक्ताओं में एआईसीसी के सदस्य रविकांत राय, जिला अध्यक्ष सुनील राम, प्रदेश महासचिव शाबीहुल हसन, वरिष्ठ नेता लाल मुहम्मद खर्चूं, जिला चेयरमैन साजिद हुसैन खां, शहर चेयरमैन रइस अहमद, प्रदेश सचिव आदिल अख्तर, हमीद अंसारी, जनक कुशवाहा, महबूब निशा, इदरीस, आशुतोष गुप्ता आदि तमाम कांग्रेसी मौजूद थे।

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