अच्छा ! अब बलिया में होगी शुगर फ्री आलू की खेती

बलिया। सब्जियों में सबसे महत्वपूर्ण आलू को माना जाता है। आलू हर सब्जी में अपनी भागीदारी निभाता है। यहां तक कि छोला, चाट, चिप्स सबमें आलू की बड़ी भागीदारी है। ऐसे में यह बच्चों से लेकर बड़ों तक को बहुत पसंद है, लेकिन कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होने से डायबिटीज के मरीज और हेल्थ कॉन्शियस लोग इसका सेवन करने से बचते हैं। हालांकि अब ऐसा नहीं है, आप जी खोलकर आलू खा सकते हैं, वह भी शुगर फ्री। इसकी खेती अब बलिया में भी होगी। जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय पर 3 नवंबर से शुगर फ्री आलू का बीज मिलना शुरू हो जायेगा। कीमत होगा 2575 रुपया प्रति कुंतल।
बता दें कि यहां के किसान गेहूं, चना और सरसों के साथ ही बड़ी संख्या में आलू की खेती भी करते है। रवि की खेती के लिए विभिन्न प्रजाति के बीज बाजार में उपलब्ध है, जिसके बदौलत किसान अपनी आय बढ़ा रहे है। लेकिन आने वाला कल यहां के आलू किसानों के लिए बेहतर दिख रहा है, क्योंकि यहां के किसान भी अब शुगर फ्री आलू की खेती कर सकेंगे। शुगर फ्री आलू की खेती ना सिर्फ सेहत के हिसाब से लोगों के लिए फायदेमंद है, बल्कि इससे किसानों को तगड़ा मुनाफा भी मिलता है।
आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए बलिया जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय पर 3 नवंबर से उत्तम क्वालिटी के बीज की बिक्री की जाएगी, जो स्टॉक सीमित रहने तक होगी। आलू के जिन बीजों की बिक्री की जाएगी, उसमें कफुरी बहार जिसकी कीमत 3475 रुपये प्रति कुंतल है। वहीं, कफुरी चिप्सोना की कीमत 2575 रुपये प्रति कुंतल है। जिला उद्यान अधिकारी शीतल प्रसाद वर्मा ने बताया कि आलू के दो तरह की प्रजातियों के बीजों की बिक्री 3 नवंबर से की जाएगी। कफुरी बहार गुजराती आलू है, जिसकी पैदावार काफी अच्छी होती है। यह सफेद आलू की प्रजाति है। वहीं दूसरे आलू का बीज काफ़ूरी चिप्सम है, वह शुगर फ्री आलू है। इसका चिप्स काफी अच्छा बनता है।
इस आलू की खास बात यह है कि यह आलू के दिनों तक सूखता नही है, जिससे इस आलू को दूर बाजारों में लेकर जाकर बेचने में भी काफी सहूलियत रहती है। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि इन दोनों प्रजातियों के आलू के 100 कुंतल बीज 2 नवम्बर तक बलिया कार्यालय को उपलब्ध हो जाएंगे और 3 नवंबर से जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय कंपनी गार्डेन बलिया से बीज उपलब्ध रहने तक बिक्री की जाएगी। शुगर फ्री आलू की गुणवत्ता अच्छी और देखरेख काफी कम है और आम आलू की तुलना में इसकी पैदावार ज्यादा होती है।

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