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गाजीपुर में जनरल बिपिन रावत…
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सीडीएस बिपिन रावत, मधुलिका रावत सहित 13 सेना के अफसरों का हेलीकॉप्टर क्रैश में निधन..
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दिल्ली। दुश्मन के दिलों को हिलाने वाले सर्जिकल व एयर स्ट्राइक के सेनापति एवं देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत अब नहीं रहे। बुधवार को दोपहर तमिलनाडु के कुन्नूर में वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। हादसे में जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत, दो पायलट, इंजीनियर समेत कुल 13 लोगों का निधन हो गया। इसमे कई सेना के अफसर भी शामिल थे। सभी सेना के हेलीकॉप्टर एमआई-17 में सवार थे। घटना तमिलनाडु के कुन्नूर के पास हुई। देश के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को हमेशा के लिए खो दिया। सेना की चूक के कारण हेलीकॉप्टर क्रैश की घटना हुई। पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
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इस हादसे के दौरान एमआई-17 हेलीकॉप्टर में कुल 14 लोग सवार थे। जिसमें सेना के कई बड़े अधिकारी भी मौजूद थे। दुर्घटना में 14 में से 13 लोगों की जान चली गई। इसकी पुष्टि नीलगिरी के कलेक्टर ने की। हादसे में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह जख्मी हैं। वह जीवन और मौत से.जंग लड़ रहे हैं।
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जनरल बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस हैं। आर्मी चीफ के पद से 31 दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्त होने के बाद बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने थे। वह 31 दिसंबर 2016 को आर्मी चीफ बनाए गए थे। जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में एलओसी कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव था। अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए मोदी सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए आर्मी चीफ बनाया था।
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उन्होंने भारतीय सेना ने 29 सितंबर 2016 को पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया था। बड़ी बात यह है कि जनरल बिपिन रावत के उप सेना प्रमुख बनने के एक महीने के अंदर ही सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था। हमले में कई आतंकी भी मारे गए थे। उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवानों के शहीद हो जाने के बाद सेना ने ये कार्रवाई की थी। जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने देश की सीमा के पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था।
मणिपुर में जून 2015 में आतंकी हमले में कुल 18 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन-के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था। तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे।
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जनरल रावत की जिंदगी में कई बड़ी उपलब्धियां रहीं। उनमें से कुछ की बात करें तो उन्हें 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन में कमीशन मिला। भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर मिला। 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख थे। जनरल रावत ने राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिवीजन की अगुआई भी की। बिपिन रावत ने कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया। एक सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली थी।
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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद बनाए जाने की घोषणा पीएम मोदी ने लाल किले पर दिए 15 अगस्त के भाषण से की थी।बिपिन रावत को यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम के साथ वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया गया है। उन्हें दो मौके पर सीओएएस कमेंडेशन और आर्मी कमेंडेशन भी दिया जा चुका है।
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