निरोगी काया: दीपावली पर भेला पीने वालों की भीड़..

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लोगों ने भुनगा माता और राउर बाबा की पूजा -अर्चना कर सुख-शांति की कामना की.
जौनपुर/करंजाकला। ऋषि- मुनि कह गए हैं, “पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख जेब में हो माया।” यदि काया अर्थात शरीर रोगी है, तो आप धन कैसे कमाएंगे ? यदि पहले से ही अपार धन है, तो वह किसी काम का नहीं। धन से कोई रोग नहीं मिटता है। शरीर स्वस्थ और सेहतमंद है, तभी तो आप जीवन का आनंद ले सकेंगे। घुमना- फिरना, हंसी- मजाक, पूजा- प्रार्थना, मनोरंजन आदि सभी कार्य अच्छी सेहत वाला व्यक्ति ही कर सकता है। अत: इसे समझना जरूरी है।
यदि आप स्वस्थ हैं, तो ही आपका जीवन है। अस्वस्थ काया में जीवन नहीं होता। कहा गया है कि व्यक्ति चार कारणों से अस्वस्थ होता है। पहला मौसम-वातावरण से, दूसरा खाने-पीने से, तीसरा चिंता-क्रोध से और चौथा अनिद्रा से। अब निरोगी काया के लिए जौनपुर का भेलहिया मेला और भेला पीने वालों की भीड़ जुटने लगी है। गुरुवार को दीपावली पर्व पर ऐतिहासिक भेलहिया मेला को देखने प्रदेश के कोने- कोने से लोगों का आना हुआ शुरू हो गया है। रोग निवारण के लिए मेले में भेला पीकर लोगों ने मनाई दिवाली।
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बता दें कि करंजाकला ब्लॉक के गिरधरपुर गांव में दीपावली पर्व पर लगे ऐतिहासिक भेलहिया मेला तीन दिन लगातार चलता है।जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और रोग निवारण के लिए भेला का रस पीते हैं। ऐसी मान्यता है कि दीपावली के पर्व पर जो लोग यहां आकर भेला का रस पीते हैं और तालाब में स्नान करते हैं उन्हें रोग से मुक्ति मिलती है। ऐसे में निरोगी काया के लिए और स्वस्थ और तंदुरुस्त जीवन गुजारने की चाह और मंदिर के प्रति श्रद्धा व आस्था लोगों को यहां आने पर विवश करती है। यहां आने वाले भक्तगण भुनगा माता और राउर बाबा का दर्शन और पूजन करते हैं। मेले में बिक रहे छोटे-छोटे लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति और गुल्लक की खरीदारी खूब जोर- शोर से हो रही है। लोगों ने दीपावली पर महालक्ष्मी भगवान गणेश की पूजा -अर्चना के लिए जमकर मूर्ति की खरीदारी की और बच्चे गुल्लक और गुब्बारे की खरीदारी खूब किए।
मेले की खास बात यह है कि यहां किसी भी जाति- धर्म का नहीं, बल्कि विश्वास और आस्था के नाम से दीपावली के अवसर पर लोग एकत्रित होते हैं। दर्शन पूजन कर अच्छे स्वास्थ्य व कुशल जिंदगी की मनोकामना करते हैं। मेले में लगा झूला बच्चों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। बच्चों ने चकरी झूला और उठक बैठक झूले का आनंद उठाया। दीपावली के पर्व पर लगे इस मेले का आयोजन तीन दिन लगातार चलता है। मेला का आखरी दिन गांव का मेला माना जाता है। जिस दिन गिरधरपुर गांव के आसपास क्षेत्रों से हजारों लोग मेले में आते हैं और जमकर खरीदारी करते हैं।
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