डिजिटल युग में तमाम चुनौतियों को पार कर भारत मानक बना रहा है : हरिवंश





नई दिल्ली/बलिया। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह ने डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफार्मों के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में परिवर्तन विषय पर पी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। कहा कि भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के महत्व पर महत्वपूर्ण ध्यान दिया गया है। इसे सभी देशों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाए गए जी-20 घोषणा दस्तावेज़ में भी प्रमुखता से दर्शाया गया है।
पी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय विकास है। पहली बार जी-20 जैसे प्रमुख बहुपक्षीय समूह ने डीपीआई के महत्व को पहचाना है। इसके साथ ही साथ विस्तृत सिद्धांत और दृष्टिकोण प्रदान भी किया है। यह कई मायनों में वैश्विक डीपीआई एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए रूपरेखा की तरह है।

सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफार्मों के विकास पर जोर देते हुए कहा कि ‘इंडिया स्टैक’ के माध्यम से हम सभी तीन मूलभूत काम करने वाले देश बन गये हैं। डीपीआई, डिजिटल पहचान, वास्तविक समय में तेज़ भुगतान और निजी पहचान को सुरक्षित रूप से साझा करने के लिए डेटा एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्म विकसित करने वाले पहले देश के रूप में हमारी पहचान है। वह भी गोपनीयता से समझौता किए बगैर हम ऐसा कर रहे हैं।
इसके पहले शुक्रवार को उपसभापति ने सतत ऊर्जा परिवर्तन विषय पर समापन भाषण भी दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत स्थाई ऊर्जा परिवर्तन के लिए पारिस्थिति की तंत्र के निर्माण के लिए लगातार काम कर रहा है। इस पारिस्थिति की तंत्र में तीन प्रमुख खिलाड़ी शामिल हैं। राज्य, उद्योग और आम नागरिक. तीनों अंग इस परिवर्तन को लाने में अपने तरीके से मदद कर इसे आगे बढ़ा रहे हैं। हमारा देश भारत अपने लिए निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पूरी तरह तैयार है। हमने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निर्धारित समय से नौ साल पहले ही सीओपी-21 में गैर-जीवाश्म ईंधन से अपनी 40 प्रतिशत बिजली उत्पादन क्षमता को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता पूरी कर ली है।

भारत 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए दृढ़ता से काम कर रहा है।
दो दिवसीय पी-20 शिखर सम्मेलन शनिवार को संपन्न हुआ। शिखर सम्मेलन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्घाटन भाषण के साथ हुई। इसके बाद सतत विकास लक्ष्य, ऊर्जा परिवर्तन, महिला नेतृत्व वाले विकास और डिजिटल सार्वजनिक सेवाओं के महत्व पर चार सत्र हुए।





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