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मिशन 2022 : अभी से अलापे जा रहे हैं महंगाई के राग
बलिया। महंगाई हर बार चुनाव में एक अहम मुद्दा बनकर सामने आती है। यह राजनीतिक दलों की जीत और हार भी तय करती है। महंगाई को मतदाता ने दिल से लिया तो कई बार सत्ता परिवर्तन तक हुए और सबकुछ सामान्य रहा तो सत्ता की जय भी हुई है।
विधानसभा चुनाव 2022 में अभी से महंगाई के राग अलापे जा रहे हैं। विपक्षी दल इसे बड़ा मुद्दा बनाकर न केवल जनता के बीच परोस रहे हैं, बल्कि सियासी हवा भी दी जा रही है। मतदाताओं को महंगाई के मुद्दे पर अपनी तरफ मोड़ने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव में महंगाई एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आ सकती है।
यह कोई नई बात नहीं है, हमेशा से राजनीतिक गलियारे में महंगाई का मुद्दा उछाला जाता रहा है। जरूरत के हिसाब से राजनीतिक दल इसे भुनाते रहे हैं। बेमौसम महंगाई लोगों पर असर करे या न करे, लेकिन चुनाव के समय इसका असर जरूर देखने को मिलता है। यह बात भी सत्य है कि सरकारें सदियों से महंगाई पर अंकुश लगाने की जी तोड़ प्रयास करती आ रही हैं, पर इसका असर होता नहीं दिखाई दे रहा है।
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प्रोटीन आधारित सामानों पर महंगाई का असर..
बलिया। कोरोना महामारी के समय से ही महंगाई ने सबको अपनी चपेट में ले रखा है। इससे प्रोटीन आधारित सामान भी वंचित नहीं हैं। अंडे, माँस व मछली, तेल, सब्जी और दालों की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई का असर आम आदमी पर सीधा पड़ रहा है। इनकी क़ीमतों में पिछले महीने की तुलना में 30 से 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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पेट्रोल और डीजल के दाम घटे लेकिन किराया जस का तस
बलिया। महंगाई ने सबको तड़फड़ाने के लिए मजबूर कर दिया है। जानकार बताते हैं कि पेट्रोल और डीजल पर ट्रैक्स घटने और बढ़ने के साथ ही दाम में बढ़ोतरी और घटोत्तरी की जाती है। इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ता है। कुछ महीनों से लगातार पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों ने किराए एवं ट्रांसपोर्टिंग खर्च को काफी बढ़ा दिया था। सरकार ने कोरोना महामारी के सामान्य होने पर अब पेट्रोल और डीजल के दाम एकाएक घटा दिए हैं, लेकिन अब भी ट्रांसपोर्टरों ने अपना किराया कम नहीं किया है। इससे मंहगाई अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रही है।
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रेलवे ने कम किया किराया, लेकिन रोडवेज एवं निजी टैक्सी स्टैंडों पर कोई अंकुश नहीं
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बलिया। कोरोना महामारी के सामान्य होने के बाद रेलवे ने किराया कम करने की घोषणा कर दी है। लेकिन अब भी रोडवेज तथा निजी टैक्सी स्टैंडों ने पुराने किराया को लागू नहीं किया है। अब सामाजिक दूरी खत्म होने के बाद भी यात्री शोषण के शिकार हो रहे हैं। जबकि वाहन स्वामी, ट्रांसपोर्टर, विद्यालय संचालक आदि किराए के बोझ को कम करने पर विचार तक नहीं कर रहे हैं। इससे महंगाई ने आम आदमी को परेशानी में डाल दिया है। फिलहाल आम आदमी की शिकायत कोई सुनने को तैयार नहीं है। जिला प्रशासन एवं एआरटीओ विभाग ने भी इस दिशा में कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की है।
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