बलिया। देश में सबसे पहले 19 अगस्त 1942 को जनपद आजाद हुआ, लेकिन खुशी का यह जश्न आज भी कम नहीं हुआ। हर साल आजादी का पर्व “बलिया बलिदान दिवस” के रुप में मनाया जाता है। गुरुवार को पूरे जोश-खरोश के साथ मनाया गया। जिलाधिकारी अदिति सिंह, पुलिस अधीक्षक राजकरण नैय्यर, अपर जिलाधिकारी रामआसरे, सिटी मजिस्ट्रेट नागेंद्र सिंह, सीओ सिटी, यातायात निरीक्षक सुरेश चन्द द्विवेदी के अलावा जनप्रतिनिधियों में भाजपा जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू, नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण गुप्ता, नपा चेयरमैन अजय कुमार, पूर्व मंत्री राजधारी सिंह, रंगकर्मी विवेकानंद, साहित्यकार शिवकुमार कौशिकेय, विनय पांडेय, सेनानी आश्रित द्विजेन्द्र मिश्र, राजकुमार मिश्र समेत आरएसएस के भी तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे।

जेल का फाटक खुला और जनपदवासी आजाद कर दिए गए। सबसे पहले जिला कारागार परिसर में स्थित राजकुमार बाघ की प्रतिमा पर सभी ने माल्यार्पण किया। इस दौरान तमाम गूंजायमान नारों के साथ आगे-आगे सेनानी और पीछे अधिकारी और आम जनता का हुजूम आगे बढ़ता रहा। लोग अमर शहीदों एवं महापुरुषों को स्मरण करते हुए उनके सम्मान में देशभक्ति से ओतप्रोत नारे लगाए।

जिला जेल से निकलने के बाद गाजे-बाजे के साथ लोगों का हुजूम जुलूस के रूप में सड़क पर निकल पड़ा। जनसैलाब कुंवर सिंह चौराहे पर पहुंचा और वहां वीर कुंवर सिंह के मूर्ति पर सबने माल्यार्पण किया। मौसम खराब होने के बावजूद लोगों में उत्साह दिखाई दे रहा था, जैसे लोग आजादी का जश्न मना रहे हों। इसके बाद टीडी कालेज चौराहे पर सेनानी रामदहिन ओझा तथा चित्तू पाण्डेय की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया।

शहीद पार्क में महात्मा गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद जुलूस बापू भवन के सभागार में पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया।
बलिया बलिदान दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि सेनानियों के प्रति अधिक से अधिक जानकारी युवा पीढ़ी को दें। ताकि युवा अपने राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़े।