लाल बालू: दिन में कार्रवाई और रात में कमाई का खेल जारी…

बलिया। यूपी-बिहार बार्डर पर लाल बालू का खेल सालों से चल रहा है। चार साल पहले जब बालू पर पूरी तरह रोक लगा था, तो इलाके के किसानों को घर बनाने एवं आम लोगों को सुविधा पहुंचाने के लिए इसे अनुमति दिलाई गई थी। अब इसकी आड़ में धंधा शुरू हो गया है। लोग कहते हैं इस धंधे में खाकी और खादी दोनों लिप्त है। हाल के दिनों में आला अफसरों के निर्देश पर बालू के गोरखधंधे पर नकेल कसने के लिए खाकी सख्त हो गई है। अब दिन की बजाए रात में लुकाछिपी का खेल चल रहा हैं। हालांकि अब भी दिन में कार्रवाई और रात में कमाई का अंदरखाने खेल जारी है। सच कहें तो द्वाबावासियों के लिए यह लाल बालू सिरदर्द बन गया है। सड़कों के टूटने से लेकर हादसे तक इसी का परिणम है। ऐसे में लोगों का किसी भी मार्ग से गुजरना कठिन हो गया है। इसके साथ आए दिन हो रही दुर्घटनाएं जी का जंजाल बनी हुई हैं।
बिहार के सीमावर्ती इलाके का सर्वे करें तो मांझी, जयप्रकाशनगर और बरिया की एक भी सड़क चलने लायक नहीं बची है। संपर्क मार्ग तक गड्ढ़े में तब्दील हैं। बैरिया विधानसभा क्षेत्र हमेशा से लाल बालू के गोरखधंधे के लिए प्रदेश में जाना जाता है। इससे जनता त्रस्त है, क्योंकि पूरे दिन राष्ट्रीय राजमार्ग और गांव के रास्तों से बाबू को ढोने का कार्य अब भी चल रहा है। यह अवैघ है, लेकिन इस पर कोई हाथ डालने को तैयार नहीं है। योगी सरकार की हनक पूरे प्रदेश में दिखाई दे रहा है, लेकिन अंतिम जिले के द्वाबा क्षेत्र तक पहुंचते-पहुंचते बेअसर हो जाता है। अब लाचार और विवश जनता अवैध धंधेबाजों की मनमानी से तंग आ चुकी है।
मजे की बात यह है कि सबकुछ जानते हुए यहां जनप्रतिनिधि एवं पुलिस अफसर क्यों खामोश हैं ? मूकदर्शक बने जिला प्रशासन से लोग सवाल करते नहीं थक रहे हैं। ऐसा क्यों है ? चर्चा यह भी है कि जिस बड़े या छोटे अधिकारी ने बालू के गोरखधंधे में टांग अड़ाने की कोशिश की, उसे किसी न किसी आरोप में थाने, सर्किल एवं जनपद से जाना पड़ा। शायद इसी डर से अब कोई इधर देखना नहीं चाहता। खैर बालू कारोबारियों की बल्ले-बल्ले है। इतना जरूर है कि कभी कभार इस दिशा में उच्चाधिकारियों की पहल पर इलाकाई पुलिस इसे रोकने के लिए सक्रिय होती है। तब पुलिस से लुकाछिपी का खेल शुरू हो जाता है। इन दिनों कुछ ऐसा ही चल रहा है। पुलिस ने सख्ती बढ़ा दी है। ट्रैक्टर और ट्रक पुलिस की नजर पर पड़ते ही उन्हें सीज कर दिया जा रहा है ।
इनसेट…
गंगा व सरयू नदी के घाटों पर आती है लाल बालू की खेप
बलिया। पिछले साल द्वाबा की दो नदियों गंगा और सरयू के घाटों पर लाल बालू की खेप आती थी। लेकिन इस वर्ष तो मांझी घाट जयप्रभा सेतु एवं रेल पुल के बीच, अठगांवा,चाँददीयर का इलाका सुरक्षित माना जा रहा है। यहां कई घाटों पर सैकड़ों बड़ी नावों से लाल बालू गिराकर और वहां से ट्रैक्टर के माध्यम विभिन्न गावों में भंडारण कर उसे बेचने का कार्य किया जाता है।

पूरे दिन चला लाल बालू का खेल
बलिया। पिछले तीन दिनों से क्षेत्र के कई घाटों पर बड़ी नावें आकर लाल बालू गिरा रही हैं। इस धंधे स जुड़े लोग बेधड़क अपना धंधा कर रहे थे, लेकिन बुधवार की शाम जब अठगांवा में बीएसटी बांध को सुरक्षित करने के लिए बने टी स्पर पर अवैध लाल बालू गिराना शुरू हुआ और बाढ़ विभाग के एसडीओ अमृत लाल ने इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों को दी, तो बैरिया पुलिस ने शाम से ही पांच किलोमीटर की दूरी में लाल बालू की नावों को उतारने नहीं दिया। इससे अवैध लाल बालू कारोबारियों में हड़कंप मचा रहा। लेकिन रास्ता दूसरा तलाश कर अब भी धंधा जारी है।
वर्जन:
लाल बालू के अवैध कारोबार का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। ऐसी शिकायत मिलने पर पुलिस विभाग को तत्काल इस पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाएगा।-अभय कुमार सिंह, उपजिलाधिकारी, बैरिया।

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