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डीसी नुरुल हुदा के कार्यमुक्त न होने से शिक्षक संगठनों में आक्रोश
बलिया। “पल पल फिसलती जिंदगी से मोह क्यों बढ़ने लगा ? लालसा जीवंत होती साथ कुछ पलने लगा…।” यह लाइनें जनपद के बेसिक शिक्षाधिकारी पर सटीक बैठ रही है। जिला समन्वयक सामुदायिक सहभागिता के प्रभारी नुरुल हुदा को अभी तक कार्यमुक्त न करना काफी चर्चा में है। शिक्षा विभाग में इस बात की चर्चा है कि नुरुल हुदा बीएसए के अति करीबियों में से एक हैं। यही वजह है कि जिला समन्वयक को कार्यमुक्त करने में बीएसए का मोह आड़े आ रहा है।
राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय लखनऊ द्वारा बीते 27 नवंबर 2021 को नुरुल हुदा को बीएसए दफ्तर से हटाकर उनके मूल विभाग में भेजने का निर्देश जारी किया था। लेकिन अभी तक इसका पालन नहीं हुआ है।
इससे नाराज उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने पत्र भेजकर नुरुल हुदा को तत्काल पद से कार्यमुक्त करने को कहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए सहायक शिक्षा निदेशक आजमगढ़ ने पुन: पत्र जारी कर बेसिक शिक्षाधिकारी बलिया से डीसी नुरुल हुदा को तत्काल कार्यमुक्त करने का निर्देश दिया है।
इस बार सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) आजमगढ़ ने बेसिक शिक्षाधिकारी बलिया को तीन दिसंबर को पत्र लिखकर निर्देश का पालन करने को कहा है। साथ ही कड़ा एतराज करते हुए शीघ्र कार्यमुक्त कर मूल विभाग माध्यमिक शिक्षा में वापस भेंजने का निर्देश दिया है। बता दें कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने पिछले सप्ताह पत्र लिख नुरुल हुदा को कार्यमुक्त करने के साथ ही इनसे सभी देयकों की वसूली करने का निर्देश दिया था। जिस पर बीएसए ने गत दिनों कार्यमुक्त कर चार्ज सत्येन्द्र राय और अजीत पाठक को दिए जाने का पत्र जारी किया था। लेकिन अबतक चार्ज हस्तगत नहीं कराया गया। इस पर सहायक निदेशक बेसिक ने एतराज व्यक्त करते हुए शीघ्र कार्यमुक्त करने का निर्देश दिया है।
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जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को जनपद से हटाए जाने के लिए उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के साथ ही विभिन्न शिक्षक संगठनों ने बीते दिनों चार दिवसीय आंदोलन बेसिक शिक्षा कार्यालय में किया था। आंदोलन खत्म कराने के लिए सूबे के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला, बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह एवं शिक्षा मंत्री तक ने बीएसए को हटाने का आश्वासन दिया था। लेकिन अभी तक बेसिक शिक्षा अधिकारी कुर्सी पर जमे हुए हैं। इसके साथ नुरुल हुदा को भी कार्यमुक्त नहीं किया गया। इससे शिक्षक संगठनों में आक्रोश है।
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