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खिचड़ी पर्व पर बाजारों में रौनक, गंगा घाटों पर तैयारी..
बलिया। मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता हैं। इसकी तैयारी हर तरफ शुरू कर दी गई है। कोरोना संक्रमण के बढ़ने के बावजूद बाजारों में उत्साह और रौनक दिखाई दे रही है। लोग रेडीमेड तिलवा, तिलकुट की खरीदारी जमकर कर रहे हैं।
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इस साल पंचांग के जानकारों के अनुसार 14 जनवरी की रात 7:35 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे और मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनेगा। मकर संक्रांति पर्व के मद्देनजर गंगा घाटों से लेकर हर तरफ तैयारी शुरू कर दी गई है। इस पर्व पर गंगा स्नान के साथ ही दान आदि का काफी महत्व होता है। यह दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु मोक्षदायिनी गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य के भागी बनते हैं। लोग मकर संक्रांति पर्व पर तिल, गुड़, तिलवा व उड़द के दाल का दान पुण्य करते हैं। पर्व पर गंगा स्नान के बाद लोग सुबह घरों पर दही व चिउरा का सेवन करते हैं, तो शाम को घर-घर में उड़द की खिचड़ी खाई जाती है। इसी कारण मकर संक्रांति को खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है।
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विद्वान पंडितों एवं परिजनों की मानें तो इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को है। लोग शुभ मुहूर्त में स्नान कर दान- पुण्य करते हैं। इस दिन लोग भगवान को खिचड़ी का भोग लगाते हैं। इसके अलावा अपने करीबियों और दोस्तों को मैसेज भी भेजते हैं। इसके अलावा युवा इस दिन पतंगबाजी भी करते है।
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लोग अपने-अपने बहन-बेटियों के यहां खिचड़ी का त्योहार भेज रहे है। तिलवा के लिए लोग भट्टियां (भरसाई ) में चिउरा, मकई, जोन्हरी का अनाज भुनवाया। आजकल खिचड़ी का त्योहार भेजने वाला सिलसिला खानापूर्ति बनकर रह गया है। नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के बाजारों में लोग चिउरा, लाई, गुड़ व बनी बनाई तिलवा की खरीदारी कर रहे हैं। दुकानदारों ने बताया कि चिउरा 35 से 40 रुपये, गुड़ 40 से 60 रुपये, तिलवा 80 रुपये और 100 रुपये के डेेढ़ किलो, तिल 200 से 240 रुपये है।
इस साल गुड़ के मार्केट में तेजी आई है। इस बीच लोग रेडीमेड तिलवा की खरीदने के शौकीन हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इसके बाद खरवास समाप्त हो जाता है और शुभ लग्न आरंभ हो जाता है।
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