निर्भयाकांड : जिंदगी की विभत्स रात, तब पूरे देश में था उबाल…

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अंततः दरिंदों को मिली थी सजा-ए-मौत..
बलिया/नरहीं। साईं इंस्टीट्यूट देहरादून में पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया अपने दोनों भाइयों में बड़ी थी। अपने परिवार के प्रति जागरूक भी। वह सपने की ज्योति जगाने वाली थी कि निर्भया की जिंदगी में ऐसी विभत्स रात आई कि सबकुछ खत्म हो गया। वह रात थी 16 दिसंबर 2012। तब चलती बस में गैंगरेप के बाद जघन्य कृत्य करने के बाद रात में करीब दस बजे बस से नीचे फेंक दिया गया। निर्भया के पिता ड्यूटी से अपने घर 11 बजे पहुंचे थे। माता ने निर्भया के घर नहीं आने की बात कही। अभी घर के सदस्य कुछ सोचते, तभी 11.10 बजे सफदरजंग अस्पताल से फोन आया कि आपकी बेटी का एक्सीडेंट हो गया है। निर्भया के पिता अपने मित्र कैलाश शर्मा के साथ बाइक से सफदरगंज अस्पताल पहुंचे। तब डॉक्टरों ने बताया कि आपकी बेटी के साथ बहुत बड़ा जघन्य अपराध हुआ है। उस समय बेटी के शरीर पर पूरे कपड़े नहींं थे। दर्द से कराह रही थी। निर्भया के पिता ने घर फोन कर बताया और कपड़े भी मांगे। निर्भया की हालत देखकर डॉक्टरों ने भी आश्चर्य व्यक्त किया कि यह लड़की जिंदा कैसे है। सफदरगंज अस्पताल में ऑपरेशन भी हुआ। 17 दिसंबर 2012 बसंत बिहार थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया। इस घटना को लेकर पूरे देश में उबाल आ गया। सफदरगंज अस्पताल में निर्भया ने अपना बयान भी दिया और दरिंदों को पहचान भी लिया। निर्भया के नाजुक हालत को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए 26 दिसंबर 2012 सिंगापुर ले जाया गया। वहां माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान 29 दिसंबर 2012 की सायं चार बजे निर्भया ने दम तोड़ दिया। इसकी जानकारी जैसे ही दिल्ली पहुंची। लोगों में गुस्सा और बढ़ गया। जगह- जगह कैडिल मार्च निकलने लगे। 30 दिसंबर को निर्भया का शव दिल्ली पहुंचा और द्वारिका में अंतिम संस्कार किया गया। 31 दिसंबर को निर्भया के अस्थि कलश लेकर माता -पिता व दोनों छोटे भाई पैतृक गांव (घर) पहुंचे। वहां देश विदेश के मीडिया का जमावड़ा लग चुका था। एक जनवरी 2013 को देश नव वर्ष मना रहा था। उसी समय भरौली गंगा तट पर निर्भया के अस्थि कलश का विसर्जन गंगा में किया गया। गंगा तट पर भी हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।
निर्भया के घटना को अंजाम देने वाले आरोपी राम सिंह, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा, अक्षय सिंह, एवं नाबालिग राज मोहम्मद के प्रति परिवार सहित देश में उनकी दरिंदगी को लेकर गुस्सा था। उसी समय मांग उठने लगी थी कि दरिंदों को फांसी दो। केंद्र की यूपीए सरकार भी इस घटना को लेकर सकते में थी। उधर निर्भया के घर नेताओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ। घर पहुंचने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, रामकृपाल यादव, तत्कालीन भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता, एमसीडी के राजेश्वर, नागपाल, मारीशस से पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के करीबी आरपीएन सिंह ने निर्भया के भाई की पढ़ाई अपने यहां कराने की बात कही।
निर्भया की तेरहवीं 11 जनवरी 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का हेलीकाप्टर निर्भया के घर से 300 मीटर की दूरी पर उतरा। साथ में तत्कालीन राजस्व मंत्री अंबिका चौधरी, सांसद नीरज शेखर भी घर पहुंच कर अखिलेश यादव ने 25 लाख रुपये का चेक दिया। निर्भया के नाम पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं गांव आने वाली सड़क का मरम्मत कराने की घोषणा भी की। अस्पताल , सड़क का निर्माण भी किया गया। यूपीए सरकार ने एक फरवरी 2013 को दुष्कर्म के मामले में सजा-ए-मौत की मंजूरी दी और नया कानून पाक्सो ऐक्ट बना। दो फरवरी को 13 धाराओं में आरोप तय हुआ। निर्भया की कानूनी लड़ाई पटियाला हाउस कोर्ट हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में लड़ी गई। इस मुकदमे की अहम कड़ी बस में निर्भया के साथ मौजूद रहे चश्मदीद गवाह अवनींद्र पांडेय तथा निर्भया को सड़क से उठाकर सफदरगंज अस्पताल ले जाने वाले राम कुमार की गवाही अहम रही। कानूनी लड़ाई चल ही रही थी कि इसी बीच राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर लिया। नाबालिग आरोपी सुधार गृह में तीन साल रहने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया। सात साल से अधिक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने 22 जनवरी को फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया। लेकिन फांसी टल गई। फिर एक फरवरी एवं तीन मार्च को डेथ वारंट जारी हुआ। लेकिन फिर मामला टल गया। 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे चौथी बार डेथ वारंट जारी हुआ। इसको भी टालने का पूरा प्रयास किया गया, लेकिन निर्भया के पिता 20 मार्च को लेकर आश्वस्त थे। विपक्षी वकील द्वारा निर्भया के मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय आईसीजे में ले जाने की तैयारी की। फांसी को टालने की, लेकिन कोई हथकंडा काम नहीं आया।

सेंट्रल जेल बक्सर से गया था फांसी का फंदा..
बलिया/नरहीं। आखिरकार बिहार के बक्सर सेंट्रल जेल से फांसी का फंदा ले जाया गया। मनीला फांसी का फंदा मुकेश (32), पवन (25), विनय (26), अक्षय कुमार (31) के गले में 20 मार्च 2020 को पड़ा और फांसी के फंदे पर लटका दिया गया ।

निर्भया की नौवीं बरसीं पर विशेष…

..और आशा राम बापू को भी जाना पड़ा था जेल
नरही। 16 दिसंबर दिल्ली गैंगरेप की घटना फिर 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर में निर्भया की मौत ने देश ही नहीं विदेश को भी हीला कर रख दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने दोषियों को 20 मार्च 2020 को फांसी पर लटका दिया, लेकिन बलात्कार की घटनाएं आए दिन सामने आ ही रही है। पांक्सो एक्ट यानि प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल आंफेंसेंस एक्ट के अस्तित्व में आने के बाद कई नामी-गिरामी लोग जेल चले गए। चार जनवरी 2013 को जब निर्भया का मामला सुर्खियों में था, तब आशा राम बापू ने निर्भया पर यह टिप्पणी कर बैठे कि ताली दोनों हाथों से बजती है। उनके इस बयान पर निर्भया के पिता ने नाराजगी जताई थी। एक समय ऐसा आया कि इसी एक्ट के तहत देश के बड़े धर्म गुरुओं में शुमार आसाराम बापू, गुरमीत, राम रहीम को सजा सुनाई गई। यहां तक की नेताओं एवं बाहुबलियों की भी गिरफ्तारी हुई। निर्भया कांड के बाद कई धाराओं में बदलाव किए गए। जिसमें फास्ट ट्रैक कोर्ट की अहम भूमिका है। गलत तरीके से छेड़छाड़ या अन्य तरीके से यौन शोषण को भी रेप की धाराओं में शामिल किया गया है। 2012 में पांक्सो एक्ट 2012 यानि लैंगिक उत्पीडन से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम बनाया गया। इस एक्ट में नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह एक्ट बच्चों के सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल एसॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों में सुरक्षा प्रदान करता है। पाक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार हुए आरोपी को आसानी से जमानत नहीं मिलती है। तीन जनवरी 2013 को क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस आया। जिसके तहत आईपीसी की धारा 181 और 182 में बदलाव किए गए। इसमें बलात्कार से जुड़े नियमों को कड़ा किया गया। रेप करने वाले को फांसी की सजा भी मिल सके ऐसा प्रावधान किया गया। 22 दिसंबर 2015 को राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल भी पास हुआ। इस एक्ट में प्राविधान किया गया कि 16 साल या उससे अधिक उम्र के किशोर को जघन्य अपराध करने पर कोई छुट न दी जाए। बल्कि उसे व्यस्क मानकर मुकदमा चलाया जाए। इसके पहले दुष्कर्म के किशोर आरोपी का कम उम्र का हवाला देकर सजा से बचने की कोशिश करते थे।
इस बिल के तहत ऐसा माना गया कि कोई 16 साल का किशोर भले ही व्यस्क की आयु यानी 18 वर्ष से कम उम्र का होता है, लेकिन अगर उसने दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध किया है, तो उसे व्यस्क माना जाएगा और सजा भी सुनाई जाएगी। निर्भया कांड के बाद कानून में बदलाव तो जरूर हुए लेकिन दुर्भाग्य की बलात्कार की घटनाओं में कोई कमी देखने को नहीं मिल रही है। यह गंभीर चिंता का विषय है।

दिल्ली में मनेगा निर्भया की नौवीं बरसी..
नरहीं। निर्भया के नौवीं बरसी के तैयारी पर निर्भया के माता-पिता ने बताया कि कोविड के कारण निर्भया की नौवीं बरसीं दिल्ली अपने आवास पर अपने सगे-संबंधियों के साथ मनाया जाएगा। इस बार यह बहुत ही सीमित होगा। निर्भया के बाबा ने बताया कि निर्भया के पैतृक गांव पर रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर श्रद्धांजलि सभा के साथ ही सायकिल रैली एवं सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसमें गांव की युवतियां शिरकत करेंगी।
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