संस्कृत भाषा में ही हमारी संस्कृति निहित है : अश्वनी कुमार तिवारी

विश्व संस्कृति दिवस पर नागाजी विद्यालय में भव्य कार्यक्रम का आयोजन
बलिया।
विश्व संस्कृति दिवस अपने आप में अनूठा है। इसकी शुरुआत १९६९ में की गई थी। हर साल श्रावणी पूर्णिमा के दिन (२२ अगस्त) इसे मनाया जाता है। संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है। इसे देव भाषा भी कहा जाता है। देखा जाए तो संस्कृत सभी वेदों एवं पुराणों की भाषा भी है। यह केवल एक स्व-विकसित भाषा ही नहीं, बल्कि एक संस्कारित भाषा भी है। बुधवार को नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में संस्कृत दिवस समारोह मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनपद के प्रशासनिक अधिकारी अश्वनी कुमार तिवारी रहे।

उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति एवं संस्कार संस्कृत भाषा में ही निहित हैं। यह सबसे प्राचीन एवं वैज्ञानिक भाषा है। यह हमारी देववाणी है। संस्कृत ने हमें गीता, पुराण, उपनिषद, आयुर्वेद आदि सबकुछ दिया है। अत: हम सभी को संस्कृत भाषा को पढऩा-लिखना चाहिए। इसी क्रम में कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि संस्कृत भारती गोरक्ष प्रान्त के मंत्रों नागेश जी ने कहा कि संस्कृत सबकी भाषा है। संस्कृत अन्त्यन्त सरल, सरस एवं मधुर भाषा है। संस्कृत को मात्र दो महीनों में बोला जा सकता है। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए नागाजी विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविंद सिंह चौहान ने कहा कि संस्कृत भाषा संस्कारों की भाषा है। हमारी संस्कृति क्रियाकलाप को प्रखर बनाती है। अत: हमें संस्कृत सीखनी चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विद्यालय के प्रबंधक अनिल सिंह ने कहा कि संस्कृत देववाणी है। संस्कृत में जो बोलते हैं, वही लिखते है। इसका व्याकरण व साहित्य परिपूर्ण है। इसके संरक्षण में हम सभी को आगे रहना चाहिए। कार्यक्रम में श्रीप्रकाश ओझा, शक्ति सिंह, दुर्गेश सिंह आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इसकी शुरूआत सरस्वती वंदना एवं समापन कल्याण मंत्र से हुआ।

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