2016 श 2019 में आई बाढ़ ने दूबे छपरा रिंग बंधे को पहुंचाई थी क्षति
तिलक कुमार
बलिया। जिले में फ्लड फाइटिंग के नाम पर बीते पांच दशकों में करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं। बावजूद जिला प्रशासन बाढ़ तथा कटान से गांववासियों को बचाने के लिए अभी तक कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला हैं। जिला प्रशासन एवं विभाग की इसी नाकाम प्रयासों में एक है, दूबे छपरा रिंग बंधा। इसकी मरम्मत के नाम पर जिला प्रशासन बीते पांच वर्षों में अब तक २२ करोड़ रुपया बंधे पर खर्च कर चुका हैं। बावजूद दूबे छपरा रिंग बंधा को बचाया नहीं जा सका।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दूबे छपरा रिंग बंधा का निर्माण सर्वप्रथम ५५ वर्ष पूर्व गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा कराया गया था। लेकिन २०१६ में आई भयंकर बाढ़ के चलते यह बंधा २७ अगस्त को टूट गया। इसके बाद बंधे की मरम्मत का कार्य शुरू हुआ और तटबंध के निर्माण का कार्य मेसर्स आरपी सिंह एंड कंपनी को सौंपा गया। कंपनी ने वर्ष २०१७ में मरम्मत कार्य शुरू किया और प्वाइंट ० से १.९०० मिट्टी/ स्लोप पिचिंग तथा ०.६५० से १.४०० तक लांचिंग एप्रोन का कार्य करने के साथ-साथ एक स्पर भी बनाया। इस कार्य की कुल लागत १५ करोड़ ५१ लाख२९ हजार ९५१ रूपए आया। लेकिन अफसोस रिंग बंधा टिक नहीं पाया और एक बार फिर २०१८ में आई बाढ़ की भेंट चढ़ गया। बाढ़ खत्म होने के बाद जिला प्रशासन ने एक बार फिर मरम्मत करने का निर्णय लिया और इस बार ०.६५० से ०.७२० तथा १.२०० से १.३०० तक कुल छह करोड़ ६६ लाख ५७ हजार ८८० रूपए की लागत से मरम्मत कार्य किया गया। लेकिन इस बार भी वही हुआ जो पहले हुआ था २०१९ में सब कुछ खत्म हो गया। अब सवाल यह उठता है कि २२ करोड़ खर्च करने के बाद भी बंधा क्यों नहीं टिक पाया? क्या सिर्फ कागजों में लागत दिखाकर जनता की गाढ़ी कमाई का बंदरबांट किया गया है!
इनसेट….
बंधे के घेरे में हैं ये गांव
बलिया। दूबे छपरा रिंग बांध के घेरे में उदई छपरा, गोपालपुर, दूबे छपरा, प्रसाद छपरा, गुदरी सिंह के टोला, बुद्धन चक, मिश्र गिरी के मठिया, टेंंगरहीं, चितामण राय के टोला, मिश्र के हाता सहित दर्जन भर गांवों की हजारों की आबादी बांध के टूटने से जलमग्न हो गई थी। इसके अलावा पीएन इंटर कालेज, डिग्री कालेज, स्वास्थ्य केंद्र, आयुर्वेदिक अस्पताल सब पानी से घिर गया था।