- अपना पुरातन गौरव पाना है तो चित्रगुप्त वंशीय आपसी मतभेद भूलकर एक हों – मुख्य अतिथि
- सामूहिक प्रार्थना और श्रद्धाजंलि सभा में कायस्थ समाज ने लिया एक दूसरे के दुख सुख में भाग लेने का संकल्प
गाज़ीपुर। लोकतन्त्र सेनानी कल्याण समिति, उत्तर प्रदेश के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने कहा है कि सामाजिक जीवन में सादगी और ईमानदारी की पुनर्स्थापना करनी है तो कायस्थ समाज के लोग आगे आएं। अपने समाज के कार्यक्रमों में भाग लें और एक दूसरे का सहयोग करें। श्रीचित्रगुप्त मन्दिर ददरीघाट, गाज़ीपुर में आयोजित सामूहिक प्रार्थना और श्रद्धाजंलि सभा में बतौर मुख्य अतिथि लोकतन्त्र सेनानी कल्याण समिति के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने कहा कि इसके लिए सर्वाधिक जरूरी है कि हम सभी लोग अपने अपने छोटे मोटे मतभेद भूलकर व्यापक सवालों पर एक होकर अपनी ताकत का प्रदर्शन करें। उन्होंने कहा है कि इस सामूहिक प्रार्थना और श्रद्धाजंलि सभा में समाज के बीच कार्य कर रहे सभी संगठन के लोग नज़र आ रहे हैं। यह एक अच्छी शुरुआत है। आगे चलकर इसका व्यापक लाभ मिलेगा।

सामूहिक पूजा और श्रद्धाजंलि सभा की शुरुआत भगवान चित्रगुप्त की जय के उदघोष के बीच कोरोना काल में नहीं रहे अपने परिजनों के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पण के साथ हुई। पानी बरस रहा था, लेकिन कायस्थ समाज उससे डिगा नहीं। वह पुजारी श्री सुरेंद्र सिंह और क्षितिज श्रीवास्तव के साथ साथ मंत्रोचार करता रहा। इस अवसर पर हवन यज्ञ के लिए पांच मण्डप बनाए गए थे। इसके चारों तरफ बैठकर कायस्थ समाज के लोग मंत्रोचार और यज्ञ में भाग ले रहे थे। सामूहिक प्रार्थना एवं श्रद्धांजलि सभा को सफल बनाने में श्रीचित्रगुप्त वंशीय सभा, ददरीघाट के अध्यक्ष आनन्द शंकर श्रीवास्तव, सचिव अजय कुमार श्रीवास्तव, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के जिलाध्यक्ष अरुण श्रीवास्तव, विश्व कायस्थ संगठन के अध्यक्ष प्रवीण श्रीवास्तव, कायस्थ महासभा के अध्यक्ष संदीप श्रीवास्तव, युवा कायस्थ सभा के अध्यक्ष अजित नारायण लाल, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के अध्यक्ष आलोक श्रीवास्तव, कर्मचारी नेता दुर्गेश श्रीवास्तव, आनिल श्रीवास्तव, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, प्रमोद सिन्हा, विभोर श्रीवास्तव, सुनीलदत्त श्रीवास्तव, रवि श्रीवास्तव, शिवशंकर सिन्हा, नीरज श्रीवास्तव, मुनीन्द्र श्रीवास्तव, डाक्टर शरद वर्मा और प्रेमानन्द सिन्हा मुख्यरूप से सक्रिय रहे। इस अवसर पर चित्रगुप्त मन्दिर परिसर में पांच स्मृति वृक्ष रोपे गए और उन सभी लोगों को एक एक पौधा दिया गया जो अपने परिजनों का चित्र लेकर आए थे।