फेफना विधानसभा : यहां जो जीता वही सिकंदर

मतदाता तय करेंगे सपा व भाजपा उम्मीदवारों के जय और पराजय का फैसला
बलिया। फेफना विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो सूबे की सियासत में इस विधानसभा क्षेत्र का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। मतलब यह सीट यूपी की सियासत में सिकंदर बनने का सपना संजोए विधायकों के लिए महत्वपूर्ण सीट कह सकते है। वैसे तो ये जितना सपा के लिए महत्व रखता है, उतना ही भाजपा के लिए भी है।
इस सीट से सपा के कद्दावर नेता अंबिका चौधरी लगातार चार बार विधायक रहे हैं। इसके पहले इस विधानसभा सीट को गौरी भैया के नाम से जाना जाता था।
फेफना विधानसभा सीट से 1993 से लेकर 2012 तक चार बार अंबिका चौधरी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। पहले कोपाचीट अब फेफना विस सीट से अबतक चार बार जीतने वाले अंबिका चौधरी सूबे के कद्दावर नेता हैं। अंबिका चौधरी पहली बार 1993 में इस सीट से विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद 1996, 2002 और 2007 में भी इस सीट से विधायक रहे। फेफना से चार बार विधायक रहे अंबिका चौधरी सपा की सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री भी रहे। अंबिका चौधरी के सियासी रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2012 में चुनाव हारने के बावजूद सपा की सरकार बनने पर उन्हें विधान परिषद भेजकर अपने मंत्रिमंडल में जगह दिया गया था। 2012 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे उपेंद्र तिवारी ने अंबिका की जीत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। उपेंद्र तिवारी 2012 में अंबिका को हराकर पहली बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे। कुछ आपसी राजनीतिक मतभेद की वज़ह से अंबिका एसपी छोड़ 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा से चुनाव लड़े, हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।2017 के विधानसभा में भाजपा के उपेंद्र तिवारी ने 70588 वोट पाकर जीत दर्ज की थी। फ़िलहाल बीजेपी उपेन्द्र पर अपना विश्वास तीसरी बार जता रहीं है, लेकिन राजनीति में कुछ भी सम्भव है। अंबिका का पुन: सपा में आना एक बार फिर राजनीतिक विश्लेषकों का विश्वास समाजवादी पार्टी की तरफ दिख रहा है। अब समय तय करेगा कि इस सीट पर इस बार किसकी जय और किसकी पराजय होगी ? अब तक यहां जो जीता वही सिकंदर रहा है।

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