सियासी मैदान: मंझधार में फंसी जनता के पास न कश्ती है, न पतवार…

बलिया। देश की ज्योतिष विद्या भले तरक्की कर ले, लेकिन नेताओं के अंदर छूपे राज (लोभ, लालच, भ्रष्टाचार…) एवं गूढ़ रहस्यों का पता लगाना इनके बूते की बात नहीं है। कास! कोई सुपर स्पेशलिस्ट ज्योतिषी देशहित की सोचता और चुनाव लडऩे से पहले खादीधारियों की कुडली लोगों के बीच रखता…तो शायद भ्रष्टाचार जैसे लाइलाज बीमारी का समय से इलाज होता और समाज को खोखला होने से बचाया जाता। देश पर मरने वाला वह हर ईमानदार नेता दशकों से इसका उपचार चाहता है। लेकिन अभी तक बूटी नहीं मिली । ऐसा में सियासी दल निश्छल जनता को छलने का काम दशकों से कर रहे हैं।
हम फिर एक विधानसभा की पड़ताल करने निकले हैं। यह क्षेत्र यूपी-बिहार की सीमा पर स्थित है। यहां दो महत्वपूर्ण नदियों का संगम है। क्षेत्र में कई चक्रवर्ती राजा हैं। इनकी हुकूमत विस क्षेत्र से बाहर तक बताई जाती है। इस सियासी धरती पर राजनीतिक फसल उगाई और काटी जाती है। देखा जाए तो यहां सर्वाधिक ईमानदार नेता पाए जाते हैं..? जिनके राज्य में जनता कष्ट और पीड़ा से रात-दिन कराहती है। अब तक आप समझ चुके होंगे कि हम किस राजा के सल्तनत की बात कर रहे हैं। यहां की बीमार सड़कें, अस्पताल, स्कूल, बिजली के तार, पोल, ट्रांसफार्मर एवं संचार व्यवस्था इनकी ईमानदारी का प्रमाण देने के लिए काफी हैं। इस पिछड़े इलाके की समस्याएं गिनते-गिनते आप थक जाएंगे। हर साल आने वाली बाढ़ और कटान जनता के हृदय में शूल की तरह चूभता रहता हैं। लेकिन स्थायी निदान कोई नहीं चाहता। क्योंकि बाढ़ में राहत-बचाव के नाम पर करोड़ों का खेल यहीं से होता है। यह परंपरा दशकों से चली आ रही है। लेकिन जनता बिचारी लाचार, मजबूर और असहाय है। वह राजा के सामने हाथ जोड़कर समस्या से उबारने की विनती मात्र करती है। अधिकार के साथ अपने मताधिकार का हक मांगने की कभी हिमाकत नहीं करती। इस सल्तनत की जनता अर्से से कसकती और सुबकती चली आ रही है। क्योंकि प्रतिवर्ष जनता को बाढ़, सूखा, आग और प्राकृतिक आपदा की त्रासदी भी झेलनी पड़ती है। इन्हें भोजन तो किसी तरह मय्यशर होता हेै, लेकिन जीवन में सूकुं नहीं है। इनकी पीड़ा से बेखबर नेतागण खामोशी का चादर ओढ़ बैठे हैं। लोग इनसे नफरत करते हैं या प्यार यह बताना मुश्किल है, क्योंंकि अभी दर्द सबके अंदर उबल रहा है? आने वाले विस चुनाव के लिए अभी से जमीन तैयार की जा रही है। कुछ खास मुद्दे तलाशे जा रहे हैं, जिसके दम पर मैदान में उतरा जा सके। मंझधार में फंसी जनता के पास न कश्ती है, न पतवार, अब यह कैसे समस्याओं से उतरेंगे पार, इनका भगवान ही मालिक है? हालांकि इस विस क्षेत्र में अक्सर सामने आती है वर्चस्व की लड़ाई। यह लिखी जाती है, कभी मिटती नहीं, बल्कि नया इतिहास रचती है। इस क्षेत्र में पाए जाने वाले कुछ दिलेर यह भी बोलने लगे, कलमकार हो तो..*जो दिल में है, उसे कहने की हिममत रखो और जो दूसरों के दिल में है उसे समझने का हुनर रखो..।*…तभी देश सलामत रहेगा।
-अखिलानंद तिवारी।

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