सियासी मैदानः ”फूल की सियासत और सियासत के नए फूल”


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विस चुनाव- 2022ः अब गांव- गांव में पहुंची नये फूल की सुगंध..
अखिला नंद तिवारी
बलिया।
इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में सियासत के कुछ नए फूल भी खिले हैं। इसकी महक ने सबको चकित कर दिया है। आलम यह है कि इनमें से एक फूल सबको भा रहा है। हम बात कर रहे हैं फेफना विधानसभा क्षेत्र की। यहां पुराने फूल को नापसंद कर नये से नाता जोड़ने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। युवा मतदाता हों या बुजुर्ग सभी इसके कायल हैं। यह नया फूल बाहरी नहीं, इसी विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले तथा दल में अच्छी पकड़ रखने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता रजनीश राय हैं। यह पिछले कुछ सालों से विधानसभा चुनाव को लेकर जनता का दिल जीतने में लगे हैं। इन दिनों युवाओं के लिए यह पहली पसंद हैं।
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चलो गांव की ओर..

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विधानसभा चुनाव- 2022 सामने है। सियासत की शतरंज बिछ रही है। रोज बड़ी पार्टियां बीजेपी, सपा, बसपा आदि कोई न कोई नया दांव खेल रही हैं। प्रदेश के मतदाता अचंभित हैं। अब क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन और उम्मीदवारों की बढ़ती लिस्ट ने भी वोटरों और राजनीति के दिग्गजों को असमंजस में डाल दिया है। सबके बावजूद अब जनता को तय करना है कि किसका दाव सही है और किसका गलत ?
हालांकि फेफना विधानसभा क्षेत्र के मतदाता इस बार जागरूक और सजग हैं। इस बार जाति और धर्म के नाम पर टूटने और जुटने वाले नहीं हैं। पहुंचने पर कुछ बुद्धिजीवियों ने “अपना शहर न्यूज पोर्टल” को बशीर बद्र की कुछ पंक्तियां सुना डाली। कहा..
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चलो गांव की ओर..

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”कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से। यह नए मिज़ाज का शहर है, जरा फासले से मिला करो।
सियासत की अपनी अलग एक जबां है, लिखा हुआ जो इकरार, इनकार पढ़ना।”

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चलो गांव की ओर..

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इस विधानसभा में मतदाताओं को सत्ताधारी दल ने काफी चोट पहुंचाई है। लोग आहत है। लोगों ने नेता से दूरी बनानी शुरू कर दी है, जो कभी उनके लिए अपना अर्थ, श्रम और समर्पण सब न्योछावर करते थे। हालांकि इस खटास को दूर करने में क्षेत्रीय विधायक एवं सूबे के मंत्री लगे हुए हैं। उधर मंत्री उपेंद्र तिवारी के करीबियों का मानना है कि नेता के नापसंद की कोई बात नहीं है। आज भी उनको चाहने वाले उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है। राजनीति में खुश और नाराज होना लगा रहता है।
विधानसभा चुनाव 2017 पर एक नजर डालें तो 360- फेफना विधानसभा में तीन प्रमुख दलों के प्रत्याशियों ने ताकत आजमाया था। इसमें भारतीय जनता पार्टी से उपेंद्र तिवारी को 70, 588 वोट मिले थे। जबकि बसपा से पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी को 52, 691 वोट और समाजवादी पार्टी से संग्राम यादव को 50, 016 वोट से संतोष करना पड़ा था। इस विस क्षेत्र में दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी के उपेंद्र तिवारी को जीत मिली थी। इसकी मुख्य वजह अंबिका चौधरी और संग्राम यादव पिछले दो चुनावों से आपस में आमने लड़ रहे थे। लेकिन इस बार समय रहते न केवल सुभासपा से गठबंधन हुआ है, बल्कि दोनों दिग्गज सपा में हैं। अब चुनाव निकालना बीजेपी के लिए पत्थर पर दूब उगाना है। देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी के लोकप्रिय नेता उपेंद्र तिवारी को लेकर मतदाताओं में काफी नाराजगी है। लोग इस बार उन्हें स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। अधिकतर वोटरों को यहां बीजेपी से किसी नए चेहरे की तलाश है। अब देखना है की पार्टी हुक्मरान की समीक्षा और पार्टी नेतृत्व का फैसला क्या गुल खिलाता है ? इस विस क्षेत्र में कमल के फूल की सियासत अथवा सियासत के नए फूल में से कौन पसंद किया जाएगा ? इस पर अभी मुहर लगनी बाकी है।
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