सियासी नजरिया: डिप्रेशन में हैं नेता जी…!

बलिया। जनपद के एक विधानसभा में राजनीतिक उठापटक जारी है। दो विरोधी चेहरे फिर से एक दल में…हैं। राजनीतिक भविष्य को लेकर दोनों नेता डिप्रेशन ग्रस्त हैं। अब इन्हें अच्छे राजनीतिक काउंसलर की जरूरत है, जो इनका बेहतर ख्याल रख सके। हालांकि इस फिल्ड के ज्योतिषी ने इनकी कुंडली देखी है। सबकुछ सही पाया है। विस चुनाव को लेकर दोनों नेता परेशान हैं। चिंताओं से दबे हुए हैं। किसी तरह चुनाव में टिकट हथियाने का प्रेशर है। कार्यकर्ताओं के बंटने और हटने की चिंता खाए जा रही है। दुनिया इन्हें भले तोप समझ रही हो, लेकिन यह खुद की ताकत को बखूबी समझते हैं।
कहा जाता है, राजनीति में सबकुछ संभव है…। यहां दो दुश्मन दोस्त और दो दोस्त पलभर में बैरी बन जाते हैं। यह समझना मुश्किल हैं, कब कौन साथ देगा और कौन दूर हो जाएगा। हाल में संपन्न हुए पंचायत चुनाव का नजारा आप सबने खुली आंखों से देखा है। चुनावी नाव से सियासी दरिया पार करने वाले कुछ दिग्गजों ने जनपद के एक विधानसभा में विस चुनाव से पहले ही राजनीतिक सरगर्मी तेज कर दी है। आगे क्या होने वाला है, यह किसी को अनुमान नहीं है। लेकिन अभी से सियासी शतरंज की गोटी बिछाई जाने लगी है। वजह यह है कि यहां दो कद्दावर नेता एक ही दल में आमने-सामने आ सकते हैं। यह कभी दोस्त रहे, फिर दुश्मन बने, अब फिर साथ चलने का वचन निभा सकते हैं।
बता दें कि पिछले दो विस चुनावों से यह एक-दूसरे को देखना तक पसंद नहीं कर रहे थे। कुछ चुनावों में अलग-अलग झंडे-बैनर पर चुनावी मैदान में आमने-सामने रहे हैं। इनमें से एक नेता की पहचान तो काफी बड़ी है। देखना है कि दोनों दिग्गजों को एकजुट करने का पार्टी क्या नया रास्ता निकालती है? अभी से दल के नेता और कार्यकर्ताओं की निगाहें टिक गई हैं। एक तरफ जहां दिग्गज डिप्रेशन में हैं, वहीं दल से जुड़े वोटर भी फिलहाल असमंजस में फंसे हैं।
उधर जनपद ही नहीं पूरे पूर्वांचल की बात करें तो सबसे बड़ी पार्टी का वर्तमान शुभ संकेत नहीं दे रहा है। इस दल के वर्तमान विधायकों को लेकर लोगों में काफी असंतोष हिै। अंदरखाने खिचड़ी पक रही है। क्योंकि अब तक बलिया से सटे इस विधानसभा में दोनों दिग्गजों की लड़ाई का फायदा तीसरे को मिलता रहा है। इस बार अगर दोनों एक हुए तो, उनकी खटिया खड़ी हो सकती है। बड़े दल के अगुआ, प्रदेश के कद्दावर नेता भले ही पूर्वांचल की पूरी सीटें पार्टी की झोली में डालने का दावा ठोंक रहे हैं। लेकिन यह वक्त तय करेगा कि आने वाला विस चुनाव किसके पक्ष में होगा।
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