बलिया। एक प्रमुख दल मेंं अंदरूनी खींचतान जारी है। यहांं कौन शुभचिंतक है और कौन घाती, यह बता पाना मुश्किल है। लंबे समय से सरकार चलाने में अहम भूमिका निभा रहे एक राज्यमंत्री के एक सीधे-साधे मंडल अध्यक्ष के पीछे पड़े थे और बड़े कद का फायदा उठाते हुए गुरुवार की रात हटाने में भी सफल हो गए।
इसे लेकर शुक्रवार को जब मंडल अध्यक्ष के हटने की जानकारी हुई तो कार्यकर्ताओं में आक्रोश का ठिकाना नहीं रहा। कार्यकार्ता सड़क पर उतरने की तैयारी करने लगे। अब मंत्री और जिलाध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा बंदी जारी है।
दल के नेताओं में परस्पर सहयोग और मैत्री भाव का अभाव है। पार्टी में अनुशासन, उन्नति और न्याय के लिए कौन जिम्मेदार है ? यहां एक से बढ़कर एक धुरंधर हैं। गिनती के ही कुछ नेता पार्टी की भलाई चाहते हैं, नहीं तो सभी को अपनी भलाई से मतलब रह गया है। इससे बड़ी पार्टी का गौरव मिट रहा है। अब दल के संगठन से जुड़े कार्यकर्ता और पदाधिकारी आहत हैं।
देखा जाए तो हनुमानगंज मंडल के साथ खेजुरी और रसड़ा मंडल के भी मंडल अध्यक्ष हटाए गए हैं। इनके कार्यो की समीक्षा के आधार पर कार्रवाई की गई है या द्वेषवश यह बताना मुश्किल है। शुक्रवार को सूबे की सबसे बड़ी पार्टी में त्वरित कार्रवाई से चहुओर खलबली मची है। समाचार लिखे जाने तक बस इतना ही….।