पहले पार्टी में बुलाया, माला पहनाया, फिर..?
बलिया/लखनऊ। यूपी में विधानसभा चुनाव काफी करीब है। प्रमुख दलों में जोड़-तोड़ के साथ काट-झांट चल रही है। इस दौड़ में टिकट को लेकर सपा मुखिया के काका काफी नाराज हैं। हालांकि खुद की पार्टी (प्रसपा) बनाकर चुनाव लड़ने एवं सपा को मिट्टी में मिलाने की चाह रखने वाले काका अपनी क्षमता और मतदाताओं का मूड भाप चुके हैं। इसलिए वह बिना बगावत के खामोश है। आखिर उनके पास दूसरा कोई आसान रास्ता भी नहीं है। अब काका की नाराजगी परिवार से लेकर पूरे प्रदेश में जगजाहिर है। अंदरखाने चर्चा है कि काका भतीजे से पूरे प्रदेश में केवल छह सीट मांग रहे हैं, लेकिन अखिलेश काका को केवल एक सीट देने को तैयार हैं। बात यहीं से बिगड़ गई है..। अब काका गुस्से में हैं। विधानसभा चुनाव में बेटे और चहेतों को लेकर भी चिंतित हैं। राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि सपा मुखिया के सियासी दाव सब पर भारी हैं। उन्होंने काका को भी नहीं छोड़ा, ऐसी पटखनी दी कि वह चारो खाने चित हो गए हैं।
भतीजे ने काका को पहले सम्मान के साथ पार्टी में बुलाया, माला पहनाया और अब टिकट की जगह दिखा दिया..?
पूर्व में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता एवं पिलर कहे जाने वाले शिवपाल सिंह यादव पूर्व की अखिलेश सरकार एवं मुलायम सिंह यादव की सरकार में सबसे मजबूत नेता रहे हैं। उन्हें सपा का बड़ा चेहरा माना जाता था। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान काका एवं भतीजे के बीच कद और पद को लेकर दूरियां पनपने लगी। इसके बाद काका ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया। अपने प्रत्याशियों को प्रत्येक सीट से लड़ाने का निश्चय कर चुके थे। लेकिन इसी बीच विस चुनाव में काका और भतीजे के बीच आपसी सहमति बन गई। यह भी तय हो गया कि काका जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ेंगे, जहां से वे विधायक हैं। शुरुआत में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों नेताओं में बातचीत हुई थी। जानकार बताते हैं कि काका की लंबी लिस्ट पर कई दिनों तक गहन चर्चा भी हुई और तय हो गया कि प्रसपा के नेता सपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे।
सपा के साथ गठबंधन करते हुए काका शिवपाल सिंह यादव ने कहा था कि हम दोनों मिलकर अब चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भतीजे अखिलेश को हमने नेता मान लिया है। हमारे बीच सीटों का कोई झगड़ा नहीं है। सर्वे में जो जीत रहा होगा उसी को टिकट दिया जाएगा।
लेकिन अब अचानक क्या हुआ कि काका नाराज हो गए हैं ? वह पार्टी के समर्थन में खुलकर प्रचार प्रसार तक नहीं कर रहे। चर्चा है कि शिवपाल की नाराजगी कहीं पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित न हो जाए।