*प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान: कुपोषित क्षय रोगियों को गोद लेने की शुरुआत*




गाजीपुर। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (पीएम- टीबीएमबीए) के अंतर्गत जनपद में कुपोषित क्षय रोगियों को गोद लेने की शुरुआत की जा रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने बताया कि शासन की ओर से मिले निर्देश के क्रम में जनपद में मौजूद वर्तमान कुपोषित क्षय रोगियों को गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि इसके लिए जनपद की समस्त स्वास्थ्य इकाइयों पर बाडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की मापने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। बीएमआई की गणना करते हुए 18 किलो ग्राम प्रति वर्ग मीटर से कम वाले रोगियों को अभियान के अंतर्गत स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से गोद लेकर पोषण पोटली दिलाने तथा छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों को बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के माध्यम से अतिरिक्त पोषण सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुपोषण और क्षय रोग का सीधा संबंध होता है। टीबी रोगियों को बेहतर प्रोटीन युक्त आहार न मिल पाने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। लगातार वजन में भी कमी होती है। इस वजह से वह कुपोषण की स्थिति में भी आ सकता है। इसलिए कोई भी टीबी रोगी गंभीर स्थिति में न पहुंचे, इसके लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।  राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि नोटिफिकेशन अधिक होने के साथ ही रोगियों का सफलता पूर्वक उपचार पूरा करना भी आवश्यक है। वर्तमान में जनपद का टीबी सक्सेस रेट शुन्य प्रतिशत है। दूसरी ओर वर्तमान में 2962 क्षय रोगी उपचार पर हैं। जनपद में निक्षय मित्रों की संख्या 2246 है। उपचारित रोगियों में से 2246 क्षय रोगियों को निक्षय मित्रों द्वारा गोद लिया जा चुका है। इसमें 14 वर्ष तक के 117 और 14 वर्ष से अधिक के 2129 टीबी रोगी शामिल हैं। शेष टीबी रोगियों के गोद लिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। यह सभी क्षय रोगी निक्षय मित्रों से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने बताया कि सितंबर 2023 के द लैसेंट जरनल में प्रकाशित लेख “न्यूट्रीशनल सपोर्ट फॉर एडल्ट विथ माइक्रो बायोलोजिकली कन्फ़र्म्ड पल्मोनरी टीबी आउटकम्स इन अ प्रोपोर्शन को हार्ट नेस्टेड विथ-इन राशन ट्राइल इन झारखंड, इंडिया” के अनुसार वयस्क पुरुषों में 42 किग्रा तथा वयस्क स्त्रियों में 36 किग्रा वजन होना कुपोषण को इंगित करता है। यदि इन रोगियों को प्राथमिकता पर निक्षय पोषण योजना का लाभ प्रदान किया जाए तथा सामुदायिक सहायता यानि गोद लिया जाए तो उन्हें सफतापूर्वक उपचारित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जनपद में क्षय रोगियों की डायग्नोसिस (निदान) होने के उपरान्त उन्हें तीन दिनों के भीतर ही क्षय रोगी की बीएमआई कराई जाएगी। एक सप्ताह के भीतर रोगी के खाते में निक्षय पोषण योजना के तहत धनराशि जमा हो जाए। तथा दो सप्ताह के भीतर क्षय रोगियों को गोद लिये जाने की कार्यवाही पूरी कर ली जाए।
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ऐसे निकालें बीएमआई…

-बीएमआई अर्थात बॉडी मास इंडेक्स मोटापे की जांच करने का अंतर्राष्ट्रीय मानक है। अपना बीएमआई मापने के लिए अपने वजन को अपनी लंबाई (इंच में) से भाग करें। बीएमआई के आधार पर आप यह जांच सकते हैं कि आपका वजन सामान्य है या उससे अधिक। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मानकों के अनुसार सामान्य बीएमआई 18.5 से 24.9 होना चाहिए। इससे ज्यादा बीएमआई वालों को मोटापे की श्रेणी में रखा गया है।





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