बलिया। योगी से नाराज चल रहे ब्राह्मणों को एक मंच पर लाने की जुगत में पहले बसपा और अब सपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। इसके लिए सूबे के विभिन्न जनपदों में ब्राह्मण सम्मेलनों का आयोजन जारी है। आलम यह है कि एक तरफ जहां मायावती एक बार फिर सतीश मिश्र को आगे कर ब्राह्मणों पर निशाना साधने में जुटी है, वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव यादव, मुस्लिम के बाद अब सवर्ण (ब्राह्मण) को रिझाने में पूरी शिद्दत से लग गए हैं और इसके लिए पूर्वांचल को मुख्य केंद्र बनाया गया है।
बलिया के टाउन डिग्री कालेज परिसर में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में ब्राह्मण सम्मेलन का आगाज 23 अगस्त को होगा। यह सम्मेलन बलिया की क्रांतिकारी धरती पर ब्राह्मणों के मूड और मिजाज को नापने का थर्मामीटर साबित होगा। अगर सम्मेलन का फायदा सपा को मिलता है तो निश्चित रूप से आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी भी ब्राह्मण होना संभव माना जा रहा है। ऐसे भी बलिया विधानसभा ब्राह्मण बहुलक है। सपा अभी से बूथवार सर्वे का कार्य शुरू कर दिए हैं। सम्मेलन से पूर्व ब्राह्मण वोटरों को अपने पाले में लेने तथा अधिक से अधिक सदस्यता ग्रहण कराने में जुटी हुई है। इतना ही नहीं ब्राह्मण कार्ड सपा के पुराने धुरध्ंारों का खेल बिगाडऩे का भी जरिया बन सकता है। उधर सपा से पूर्व बसपा पहले से ही सतीश मिश्र के कंधों पर सियासी बैसाखी रख इस बार कुछ अलग रणनीति बनाने में जुटी है। जिससे कि ब्राह्मणों का झुकाव बसपा की तरफ हो।
इन्हें मिली जिम्मेदारी
बलिया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ब्राह्मण वोटरों को अपनी तरफ करने के पांच कद्दावर नेताओं को जिम्मेदारी दी है, जो सपा के तेज तर्रार नेताओं में जाने जाते हैं। इनके नेतृत्व में पूरे प्रदेश में ब्राह्मण सम्मेलन कर ब्राह्मणों को लुभाने का कार्य जारी है। इन नेताओं में मुख्य रूप से विस अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, बलिया के सनातन पांडेय, पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्र, मनोज पांडेय और पवन पांडेय शामिल है।