बहुत जल्द ढ़हेगा सपा के खुशियों का किला : सुरेंद्र सिंह


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सपा में मुलायम सिंह यादव ने रखी परिवारवाद की नींव, वह अब भी कायम
कहा, शिवपाल यादव , स्वामी प्रसाद मौर्य, ओमप्रकाश राजभर समेत कई नेता पुत्र मोह में फंसे..
बलिया।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह ने कहा कि आजकल समाजवादी पार्टी में जश्न-ए- राजनीति का माहौल है। लेकिन यह जश्न ज्यादा दिन कायम नहीं रहने वाला है। बहुत जल्द खुशियों का किला ढहने वाला है। स्वामी प्रसाद मौर्य, फागू चौहान सहित भाजपा छोड़ने वाले सभी विधायक व मंत्री आगामी विस चुनाव में अपनी हार एवं टिकट न मिलने से भयभीत थे। ऐसे में उन नेताओं में घबराहट थी। इसलिए दूसरे दल में जगह पाना चाहते थे।
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उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं कुछ कद्दावर नेता अपने पुत्र एवं परिवार के सदस्यों को राजनीति में लाना चाहते थे। लेकिन भारतीय जनता पार्टी में परिवारवाद की कोई जगह नहीं होती। स्वार्थ पूर्ति न होने से उन्हें दल से किनारा करना पड़ा। सोचने की बात यह है कि जिन नेताओं को यह पार्टी पांच साल तक बुरी नहीं थी। उस दल के नेता और नीति दोनों से प्यार था। अचानक ऐसा क्या हुआ कि उनसे दूरी बढ़ गई ? यह सोचने का विषय है। अगर यह दल बुरा था और नेता बुरे थे, तो उन्होंने पांच साल तक यहां मक्खन और मलाई क्यों काटी ? यह बात उन्हें पहले समझ में क्यों नहीं आई ? अगर गलत संगत में थे, तो उन्हें पार्टी से पहले ही अलग हो जाना चाहिए। अपने वोट बैंक भरने के लिए जनता की भावनाओं से न खेलें। जिस जाति का नेता बनकर आज न्याय की बात कर रहे हैं, उन्हें न्याय दिलाने के लिए पांच सालों में क्या किया ? उन्हें अपनों के हक के लिए संघर्ष करना चाहिए। पद का त्याग कर अपनों को न्याय दिलाना चाहिए, लेकिन इतने दिनों में कभी इनकी बात नहीं की, न सरकार से उनकी उपेक्षा के लिए कोई आवाज उठाइ। अब चुनाव के चंद दिनों पहले उन्हें अपनी जातियों की याद आई है। एकबार फिर उन्हें छलने और सब्जबाग दिखाने का काम कर रहे हैं।
श्री सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इन नेताओं के जाने से कमजोर नहीं, बल्कि और मजबूत हुई है। जनता ऐसे नेताओं को चिन्हित कर चुकी है, जो अवसरवादी और परिवारवादी राजनीति कर रहे हैं। वह धन कमाने और भ्रष्टाचार की राजनीति कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी भी ऐसे नेताओं को चिन्हित कर उनका टिकट काटने की तैयारी कर चुकी है। टिकट कटने से भयभीत नेता दल से दलबदल कर रहे हैं। ऐसे नेता दल से समय रहते किनारा कर इज्जत बचाने में जुटे हैं। आगामी विस चुनाव ही बताएगा कि दल छोड़ने वालों की विजय होती है या उसमें आस्था और निष्ठा रखने वालों की। सपा के लोग कह रहे हैं कि भाजपा को इसका अंदाजा तक नहीं था कि स्वामी प्रसाद मौर्या के इस्तीफा देने के बाद भाजपा को इतना बड़ा झटका लगेगा। लेकिन ऐसा नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता इन बातों से भलीभांति परिचित थे। उन्हें पता था कि ऐसे दलबदल करने वाले लोग कभी भी किनारा कर सकते हैं। इसलिए दबाव में उनकी कोई भी मांगे नहीं मानी गई।
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