राजस्थानी लोक संगीत मंगनियार से मंत्रमुग्ध हुआ सनबीम स्कूल

राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार प्राप्त खेते खान तथा उनकी टीम का विद्यालय परिवार ने किया स्वागत

राजस्थानी लोकसंगीत मंगनियार तथा लोक नृत्य कालबेलिया का कार्यक्रम हुआ प्रस्तुत
बलिया। वर्तमान में सबसे आगे निकलने की होड़ एवं आधुनिक कलाओं के अंधानुकरण में देश की प्राचीन संस्कृति तथा पारंपरिक लोककलाएं विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं।ऐसे में अपने विद्यार्थियों को परंपराओं से जोड़े रखना जरूरी है। यह कार्य नगर के अगरसंडा गांव में स्थित सनबीम स्कूल में किया जा रहा है। यह अत्यंत सराहनीय कदम है। विद्यालय अपने विद्यार्थियों को जहां एक ओर विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करता है, वहीं दूसरी ओर उन्हे अपनी प्राचीन सभ्यताओं, वैदिक संस्कृति तथा लोक कलाओं से जोड़े रखने के लिए भी कार्यक्रम आयोजित करता है।
जिसमें मुख्य रुप से प्रतिवर्ष स्पीक मैके (सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चरल एमंगस्ट यूथ) का आयोजन होता है।विद्यालय द्वारा प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में इसका आयोजन किया जाता है। लेकिन कोरोना काल के कारण पिछले दो सालों से यह कार्यक्रम आयोजित नहीं हो पाए थे। इस वर्ष विद्यालय प्रांगण में स्पीक मैके का आयोजन बड़े उत्साह के साथ किया गया। जिसमें राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार प्राप्त श्री खेते खान तथा उनकी टीम ने राजस्थानी लोकसंगीत मंगनियार तथा लोक नृत्य कालबेलिया का कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन तथा गणेश वंदना के साथ किया गया। विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष संजय कुमार पांडेय, सचिव अरुण कुमार सिंह तथा निदेशक डॉ कुंवर अरुण सिंह ने खेते खान तथा उनके समस्त सहयोगियों को पुष्प गुच्छ तथा स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। तत्पश्चात मंच पर उपस्थित कलाकारों ने अपने कार्यक्रम में मंगनियार संगीत के विभिन्न रूपों की मनमोहक छवि प्रस्तुत की। जिससे संपूर्ण विद्यालय प्रांगण संगीतमय तथा राजस्थानी वातावरण में ढल चुका था।कार्यक्रम की समाप्ति पर विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए संगीत से संबंधित कई प्रश्न पूछे। जिसमें संगीत का रस, प्रयोग किए गए वाद्ययंत्र के नाम आदि शामिल थे। खेते खान ने विद्यार्थियों को बताया कि मंगनियार संगीत वीर रस पर आधारित है तथा इसमें मुख्य रूप से सारंगी, ढोलक, खड़ताल, मंजीरा का प्रयोग किया जाता है।

इस अवसर पर विद्यालय के अभिभावकों की उपस्थिति तथा सहभागिता भी सराहनीय रही। विद्यालय के निदेशक डॉ. अरुण सिंह ने कहा कि हमारी परंपराएं तथा लोक कलाएं हमारी धरोहर हैं। साथ ही नवीन पीढ़ी को इनके विषय में जानकारी देना हमारा कर्तव्य है। अतः इस धरोहर को बचाए रखने एवं उनके गौरव के लिए हमें सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ अर्पिता सिंह ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए विद्यालय प्रशासक संतोष कुमार चतुर्वेदी, हेडमिस्ट्रेस ज्योत्सना तिवारी ,समन्वयक पंकज सिंह, समन्वयिका क्रमशः सहर बानो, श्रीमती नीतू पांडेय, श्रीमती निधि सिंह तथा समस्त शिक्षक गणों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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